वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में भारतीय रेलवे की माल भाड़ा आमदनी के संशोधित अनुमानों में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। लिहाजा वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमानों की तुलना में राजस्व में मात्र 0.28 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। इससे रेलवे के दीर्घावधि महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान के विपरीत राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने माल भाड़े के राजस्व में 6.51 प्रतिशत इजाफे के साथ इसके 1.8 लाख करोड़ रुपये रहने लक्ष्य तय किया है। रेलवे ने महामारी की शुरुआत के बाद से बजट लक्ष्यों से बेहतर प्रदर्शन किया या संशोधित अनुमानों को हासिल किया। इससे देश में रेलवे की लंबे अरसे से लंबित कई प्रमुख बदलाव करने की उम्मीद जगी थी।
यह महामारी के बाद पहला ऐसा बजट होगा जिसमें रेलवे वित्त वर्ष की शुरुआत में पहली बार अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएगा। दरअसल, रेलवे क्षमता संबंधी चिंताओं से जूझ रहा है।
विशेषज्ञों ने वित्त वर्ष 24 की शुरुआत में बताया था कि यह वर्ष महामारी के बाद का सबसे चुनौतीपूर्ण साल हो सकता है। रेलवे यात्री यातायात में विशेष तौर पर द्वितीय / सामान्य श्रेणी उच्च स्तर पर पहुंच सकती है और मालभाड़े की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है।
वित्त वर्ष 24 में कम माल ढुलाई के अनुमान के कारण रेलवे की परिचालन लागत पर भी असर पड़ सकता है। रेलवे की परिचालन लागत शुरुआत में 98.45 प्रतिशत आंकी गई थी लेकिन अब यह 20 आधार अंक अधिक होने की उम्मीद जताई गई है। ऐसा आकलन तब जताया गया है जब संशोधित अनुमानों में पेशन के लिए विनियोग घटाकर 62,100 करोड़ रुपये कर दिया गया है और रेलवे ने 8,400 करोड़ रुपये की बचत की है।
पूर्वी मध्य रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने कहा, ‘देश की आर्थिक वृद्धि के मद्देनजर प्रदर्शन में स्थायित्व नहीं है। रोलिंग स्टॉक की योजना और रेलवे के कुछ बुनियादी मुद्दों को दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता है।’