भारत ने जून 2025 में रूस से कच्चे तेल के आयात को 11 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है। वैश्विक विश्लेषण फर्म Kpler के आंकड़ों के अनुसार, जून में भारत ने रूस से 2.08 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया, जो जुलाई 2024 के बाद सबसे अधिक है। यह तब हुआ जब इजराइल-ईरान तनाव के चलते तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ी और भारतीय रिफाइनरियों ने अपने टैंकों को भरने की कवायद तेज कर दी।
यूरोपीय थिंक टैंक Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) ने बताया कि जहां भारत के कुल कच्चे तेल आयात में 6% की गिरावट आई, वहीं रूस से आयात में 8% की वृद्धि दर्ज की गई। जून में रूस से आयातित अधिकांश तेल भारत की तीन प्रमुख रिफाइनरियों द्वारा खरीदा गया, जो तैयार उत्पादों को G7+ देशों को निर्यात भी करती हैं।
भारत, जो अपनी तेल की 85% ज़रूरत आयात से पूरी करता है, ने पारंपरिक मध्य-पूर्वी स्रोतों की जगह अब रूस को प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना लिया है। रूस अब भारत के कच्चे तेल आयात का लगभग 40% हिस्सा प्रदान कर रहा है।
2025 के जून महीने में:
अमेरिका भारत का पांचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा, जिससे भारत ने 3.03 लाख बैरल/दिन तेल मंगाया, जो कुल आयात का 6.3% है।
CREA के अनुसार, जून 2025 में रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात का:
भारत ने जून में 4.5 अरब यूरो मूल्य का रूसी जीवाश्म ईंधन आयात किया, जिसमें 3.6 अरब यूरो का क्रूड ऑयल शामिल था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में Sanctioning Russia Act 2025 का समर्थन किया है, जिसके तहत रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों — जैसे भारत और चीन — पर 500% तक के टैरिफ लगाने की चेतावनी दी गई है।
भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि वे अमेरिका की ओर से आने वाले हर बयान को गंभीरता से मॉनिटर कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल स्थिति चिंता का विषय नहीं है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि अमेरिकी नीति में बदलाव भारत की ऊर्जा रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
2023 और 2024 में भारतीय रिफाइनरियों को रूसी यूरेल्स क्रूड पर भारी छूट मिलती थी। परंतु अब यह $1.70–$2 प्रति बैरल तक सीमित रह गई है, जो कि 2022 के बाद सबसे कम है। पहले यह छूट $2.50 से अधिक होती थी।
इसकी वजह:
अब भारतीय रिफाइनरियां विकल्प के तौर पर UAE के मुरबान और अमेरिका के WTI ग्रेड की ओर रुख कर रही हैं।
तेल आपूर्ति में संभावित व्यवधान को देखते हुए भारत सरकार तीन नई रणनीतिक तेल भंडारण सुविधाएं बनाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि भविष्य में ऊर्जा संकट से निपटा जा सके।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, “रूस दुनिया का एक बड़ा तेल उत्पादक है। यदि इसका 9 मिलियन बैरल/दिन आपूर्ति बंद हो जाए तो वैश्विक कीमतें $120–130 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने ऊर्जा उपलब्धता, वहनीयता और टिकाऊपन के संतुलन को बखूबी साधा है।
पुरी ने यह भी बताया कि भारत दुनिया में सबसे कम कीमत पर स्वच्छ रसोई गैस प्रदान कर रहा है। PM उज्ज्वला योजना के तहत 103 मिलियन परिवारों को 0.4 डॉलर/किलो की दर से गैस मिल रही है।
पुरी ने हाल ही में घोषणा की कि भारत 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर में तेल और गैस की खोज को नई गति देने जा रहा है। Open Acreage Licensing Policy (OALP) के तहत राउंड 10 की शुरुआत की गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक खोज क्षेत्र को 5 लाख वर्ग किमी और 2030 तक 10 लाख वर्ग किमी तक बढ़ाया जाए।
भारत की ऊर्जा नीति इस समय नाजुक लेकिन रणनीतिक संतुलन की स्थिति में है। एक तरफ, रूस से सस्ते तेल ने भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद की है, वहीं दूसरी ओर, अमेरिका की चेतावनियों और रूसी तेल की घटती छूट ने भारत को विविध स्रोतों की तलाश पर मजबूर कर दिया है। आगामी महीनों में भारत की तेल रणनीति वैश्विक कूटनीतिक घटनाओं और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगी।
Reliance का रूस के साथ इतना बड़ा तेल सौदा कि चौंक जाएंगे आप