अंतरराष्ट्रीय

Reliance का रूस के साथ इतना बड़ा तेल सौदा कि चौंक जाएंगे आप

रिलायंस (Reliance) ने रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ दुनिया का बड़ा तेल सौदा किया है, जो global oil supply का आधा प्रतिशत होगा, और सालाना 11 हजार करोड़ रुपये का है।

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निमिष कुमार   
Last Updated- December 30, 2024 | 11:20 PM IST

रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) ने भारतीय निजी रिफाइनर रिलायंस को लगभग 500,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की है, जो दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा ऊर्जा सौदा है। 10 वर्षीय समझौता वैश्विक आपूर्ति का 0.5 प्रतिशत है और आज की कीमतों पर लगभग 13 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है याने 11 हजार 322 करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा।

तेल सौदे की खास बातें-

इस सौदे से जुड़े तीनों सूत्रों ने बताया कि इस सौदे के तहत, रोसनेफ्ट हर महीने विभिन्न रूसी कच्चे तेल के 20-21 अफ्रामैक्स आकार के कार्गो (80,000 से 100,000 मीट्रिक टन) और ईंधन तेल के लगभग 100,000 टन के तीन कार्गो की आपूर्ति करेगा। ये शिपमेंट पश्चिमी राज्य गुजरात के जामनगर में रिलायंस के रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स, जो दुनिया का सबसे बड़ा है, के लिए आपूर्ति की जाएगी।

2024 में, रिलायंस ने रोसनेफ्ट के साथ हर महीने 3 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खरीद का सौदा किया था। रोसनेफ्ट नियमित आधार पर बिचौलियों के माध्यम से रिलायंस को कच्चा तेल (Crude Oil) भी बेच रहा है। एक सूत्र ने बताया कि नए सौदे में रूसी बंदरगाहों से रोसनेफ्ट के समुद्री तेल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा शामिल है, जिससे अन्य व्यापारियों और बिचौलियों के लिए बहुत अधिक आपूर्ति उपलब्ध नहीं होती है।

सूत्रों से प्राप्त टैंकर डेटा के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर तक रिलायंस ने औसतन 405,000 बैरल प्रतिदिन रूसी तेल का आयात किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 388,500 बैरल प्रतिदिन से अधिक है।

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रिलायंस को होगा कितना फायदा ?

एक सूत्र ने बताया कि 2025 के लिए दुबई के कोटेशन के मुकाबले लाइट स्वीट ग्रेड के लिए प्रीमियम ईएसपीओ के लिए लगभग 1.50 डॉलर प्रति बैरल, सोकोल के लिए लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल और साइबेरियन लाइट के लिए लगभग 1 डॉलर प्रति बैरल निर्धारित किया गया है। दो सूत्रों ने बताया कि अधिकांश आपूर्ति मध्यम-सल्फर और डीजल-समृद्ध रूसी यूराल की होगी, जो भारतीय रिफाइनरों के बीच सबसे लोकप्रिय है और अगले वर्ष के लिए दुबई के भावों की तुलना में इसकी कीमत 3 डॉलर प्रति बैरल कम होगी।

कितने साल का सौदा, कैसे होंगी कीमतें तय?

दो सूत्रों ने बताया कि इस सौदे के तहत रिलायंस और रोसनेफ्ट हर साल तेल बाजार की गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए मूल्य निर्धारण और मात्रा की समीक्षा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि रोसनेफ्ट और रिलायंस के बीच नए सौदे पर नवंबर में रोसनेफ्ट की बोर्ड मीटिंग के दौरान चर्चा की गई और उसे मंजूरी दी गई। तीनों सूत्रों ने बताया कि आपूर्ति जनवरी से शुरू होगी और 10 वर्षों तक जारी रहेगी, जिसमें सौदे को 10 वर्षों के लिए और बढ़ाने का विकल्प भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार, डिलीवर किए जाने वाले ग्रेड की कीमत लोडिंग महीने के दुबई के औसत मूल्य से भिन्न निर्धारित की गई है।

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रिलायंस-रोसनेफ्ट क्यों कुछ नहीं बता रहे ?

रोसनेफ्ट ने इस सौदे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है, वहीं रिलायंस ने भी आपूर्ति समझौतों की गोपनीयता का हवाला देते हुए वाणिज्यिक मामले पर टिप्पणी करने से खुद को अलग कर दिया। हालांकि रिलायंस ने कहा कि वह रूस सहित अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करती है और सभी क्रूड ऑयल सौदे बाजार की स्थितियों पर आधारित होते हैं। यह सौदा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले हो रहा है और तब जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड (US President Donald Trump) ट्रम्प ने बयान दिया है कि जनवरी में पदभार ग्रहण करते ही वो चाहेंगे कि मास्को और कीव याने रुस- यूक्रेन (Russia- Ukraine) के बीच हो रहे युध्द का हल निकाला जाए।

भारत के लिए क्यों खास है रिलायंस-रोसनेफ्ट तेल सौदा?

रिलायंस और रुसी सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के बीच का ये तेल सौदा इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत और रूस के बीच ऊर्जा संबंधों को और मजबूत करेगा, जो यूक्रेन पर रुस के आक्रमण के चलते भारी पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित हुए हैं। भारत के ऊर्जा आयात में रूसी तेल का हिस्सा एक तिहाई से अधिक है। यूरोपीय संघ (European Union), जो पहले शीर्ष खरीदार था, ने 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के जवाब में रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिए, जिसके बाद भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक बन गया।

भारत ने रूसी तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, इसलिए भारतीय रिफाइनर सस्ते रुसी कच्चे तेल की आपूर्ति का लाभ उठा रहे हैं। प्रतिबंधों ने रूसी तेल को प्रतिद्वंद्वी ग्रेड की तुलना में कम से कम $3 से $4 प्रति बैरल सस्ता कर दिया है। भारत का बढ़ता रूसी कच्चे तेल का आयात, इस सेक्टर के वैश्विक प्रतिद्वंद्वी मध्य पूर्वी उत्पादकों के लिए भारी कीमत वाले साबित हो रहे हैं। कच्चे तेल कारोबार के विशेषज्ञों के मुताबिक, रिलायंस-रोसनेफ्ट सौदा सऊदी अरब सहित प्रतिस्पर्धियों के लिए एक और चुनौती पेश करेगा।

भारतीय बाजार में हिस्सेदारी के लिए सभी वैश्विक तेल उत्पादकों (Global crude oil producers) के बीच प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर है, क्योंकि भारतीय बाजार, दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ऊर्जा बाजारों (energy markets) में से एक है, और वैश्विक मांग को देखते हुए अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है क्योंकि दुनिया के कच्चे तेल के शीर्ष आयातक चीन में विकास धीमा हो रहा है, जिसके चलते क्रूड ऑयल डिमांड गिरी है।

(रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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First Published : December 12, 2024 | 3:31 PM IST