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अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्रालय के साथ बजट पूर्व परामर्श के पहले दौर में विनिर्माण नीति, खाद्य महंगाई घटाने और देश में निवेश बढ़ाने जैसे सुझाव दिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शुक्रवार को हुई इस बैठक में अर्थशास्त्रियों ने राजकोषीय मजबूती की जरूरत पर भी कई सुझाव दिए। इस क्रम में कई अर्थशास्त्रियों की सलाह यह थी कि राजकोषीय मजबूती में लचीला रुख अपनाने से सरकार के हाथ में अधिक संसाधन आ सकते हैं।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-समन्वयक अश्विनी महाजन ने बताया, ‘सभी अर्थशास्त्री इस पर सहमत थे कि देश में औद्योगिक नीति से अलग एक विनिर्माण नीति बनाने की जरूरत है। इस क्रम में आपूर्ति पक्ष के उपायों पर भी सुझाव दिए गए जिनसे खाद्य मुद्रास्फीति को कम किया जा सकता है। इनमें स्थानीय स्तर पर शीतगृह भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण केंद्र खोलने जैसे विचार हैं।
अर्थशास्त्रियों का सुझाव था कि व्यक्तिगत आयकर घटाने की गुंजाइश है। विचार-विमर्श के दौरान एक अर्थशास्त्री का सुझाव था कि व्यक्तिगत और कॉरपोरेट कर में अंतर किए जाने की जरूरत है। इसका कारण यह है कि पहले लाभांश वितरण कर का भुगतान कंपनियां करती थीं लेकिन अब यह कर भुगतान व्यक्ति विशेष को करना होता है। अर्थशास्त्रियों की इस मसले पर अलग-अलग राय थी कि सरकार को उपभोक्ता आधारित विकास का तरीका अपनाना चाहिए या निवेश व निर्यात आधारित वृद्धि को।
चार्टर्ड अकाउंटेंट व अर्थशास्त्री अनिल शर्मा ने प्रस्ताव दिया कि बेरोजगारी के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को जिला स्तर पर कौशल विश्वविद्यालय स्थापित करने चाहिए। शर्मा ने कहा, ‘हमने सुझाव दिया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय की तर्ज पर हम जिला स्तर पर कौशल विश्वविद्यालय स्थापित कर सकते हैं। यह राज्य सरकार के तहत आता है, लेकिन अगर केंद्र सरकार इस मामले में पहल करती है तो इससे रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है।’सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में प्रायोगिक स्तर पर जारी परियोजना प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना पर भी चर्चा हुई। इस मुद्दे पर सरकार ने इस योजना में अधिक औद्योगिक सहभागिता पर जोर दिया है। अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्रालय को बजट में कृषि के विकास, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार सभी लोगों के लिए करने और जलवायु परिवर्तन के लिए कुछ इंतजाम करने का सुझाव दिया।
बजट पूर्व चर्चा में भाग लेने वाले 13 अर्थशास्त्रियों में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सुरेश बाबू, सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के प्रोफेसर व निदेशक सी. वीरमणि, मोतीलाल ओसवाल के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता, सिटी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती थे। इस मौके पर नाबार्ड के मुख्य अर्थशास्त्री सीतिकांत पटनायक, एसबीआई म्यूचुअल फंड की अर्थशास्त्री नम्रता मित्तल और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री गौरव सेन गुप्ता भी मौजूद थे। अशोक यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री भारत रामास्वामी, नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी की अर्थशास्त्री लेखा चक्रवर्ती और थॉमसन रॉयटर्स की इरा दुग्गल ने भी विचार-विमर्श में हिस्सा लिया।
बजट पूर्व परामर्श के क्रम में वित्त मंत्रालय कृषि, एमएसएमई, उद्योग, आधारभूत ढांचा व ऊर्जा, सामाजिक क्षेत्र, व्यापार व सेवा, ट्रेड यूनियन और कैपिटल मार्केट जैसे आठ क्षेत्रों के साझेदारों से विचार-विमर्श करेगा।