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  बजट 2023  घाटे का लक्ष्य विनिवेश पर निर्भर
बजट 2023

घाटे का लक्ष्य विनिवेश पर निर्भर

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता | नई दिल्ली—December 19, 2021 11:26 PM IST
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सरकार की ओर से संसद में दूसरी पूरक अनुदान मांग पेश किए जाने से खजाने पर 2.99 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा, जिससे राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने को लेकर संदेह जताया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने बजट अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 प्रतिशत या 15.06 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है।
अब तक तमाम लोगों की राय थी कि सरकार राजकोषीय घाटे कोलक्ष्य की तुलना में बहुत कम रख पाने में सक्षम होगी, जो उसने बजट अनुमान में तय किया है। सरकार ने 3.74 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने के लिए संसद की मंजूरी मांगी है लेकिन 74,517.1 करोड़ रुपये अन्य मदों में इतनी ही बचत से जुटा लिया जाएगा। पहले चरण में सरकार ने संसद से 1.87 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त व्यय के लिए मंजूरी मांगी थी, जिनमें 23,674.81 करोड़ रुपये शुद्ध नकद प्रवाह शामिल था।  
इस तरह से सरकार वित्त वर्ष 2022 में बजट अनुमान की तुलना में
करीब 3.23 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी।
इसकी वजह से विशेषज्ञ यह कह रहे हैं कि सरकार का राजकोषीय घाटा संभवत: बजट लक्ष्य को पार कर जाएगा, भले ही वित्त वर्ष के शुरुआती 7 महीनों में वित्तीय अनुशासन का पालन किया गया है।
अर्थशास्त्रियों की गणना के मुताबिक इस 3.23 लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए सरकार 1.40 से 1.75 लाख करोड़ रुपये के बीच कर से प्राप्त कर सकती है, जो राज्यों को कर विभाजन के बाद होगा। साथ ही रिजर्व बैंक का लाभांश हस्तांतरण बजट अनुमान की तुलना में ज्यादा हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो सवाल उठता है कि शेष 1.48 से 1.83 लाख करोड़ रुपये कहां से आएंगे? अगर यह राजस्व स्रोत से आता है तो राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। अगर इन स्रोतों से नहीं आता है तो राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने में इतनी राशि कम रह जाएगी।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि केंद्र सरकार बजट में तय राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने नहीं जा रही है। उन्होंने कहा, ‘जीडीपी के 0.5 से 0.7 प्रतिशत तक की चूक होने जा रही है, जिसका मतलब यह है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7.3 से 7.5 प्रतिशत के बराबर होगा।’  
उन्होंने इस चूक की गणना दूसरी किस्त की पूरक मांग के बाद की है और पहली किस्त पर विचार नहीं किया है। उनकी गणना इस अवधारणा पर आधारित है कि  1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा और चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों के दौरान कर संग्रह जो तेजी देखी गई है, वह शेष 4 महीनों में भी जारी रहेगी। सबनवीस ने कहा कि अगर विनिवेश लक्ष्य में चूक होती है तो घाटा और बढ़ेगा।
इस गणना से अन्य लोग सहमत नहीं हैं क्योंकि वित्त मंत्रालय संशोधित अनुमान पेश कर सकता है।
वित्त मंत्रालय के सूत्र इस बात से सहमत हैं कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 प्रतिशत तक सीमित रख पाना मुश्किल लक्ष्य है। बहरहाल उन्होंने साफ किया कि दूसरी जगहों पर कुछ बचत हो सकती है।
एक सूत्र ने इस बात पर जोर दिया, ‘इस तरह से 3.23 लाख करोड़ रुपये साधारण तरीके से जोड़ देना (दो पूरक मांगों के माध्यम से शुद्ध नकदी प्रवाह) सही नहीं है।’ इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने भी सहमति जताई कि कुछ विभागों व मंत्रालयों के व्यय में कुछ ज्यादा बचत होगी।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अगर 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया जाता है तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में कोई चूक नहीं होगी।विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये हासिल करने के लक्ष्य में सरकारी कंपनियों और ऐक्सिस बैंक में यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया की हिस्सेदारी बेचने से सिर्फ 9,330 करोड़ रुपये मिले हैं।वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने इसके पहले बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य हासिल किए जाने की संभावना कम है।
बहरहाल दीपम सचिव तुहिन कांत पांडेय को भरोसा है कि विनिवेश लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) और बीपीसीएल का निजीकरण जरूरी है। एलआईसी आईपीओ से सरकार को एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है, हालांकि सबसे बड़े जीवन बीमाकर्ता का मूल्यांकन किया जाना अभी बाकी है।
केंद्र सरकार एलआईसी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने की योजना बना रही है, जिसके लिए एलआईसी का मूल्यांकन 10 लाख करोड़ रुपये होना जरूरी है। सरकार बीपीसीएल में अपनी 52.98 प्रतिशत की मौजूदा हिस्सेदारी बेचकर 45,000 करोड़ रुपये पा सकती है। बहरहाल अब सरकार के पास बहुत वक्त नहीं है, क्योंकि वित्त वर्ष समाप्त होने में महज साढ़े तीन महीने बचे हैं।
इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की राजकोषीय गणित विनिवेश प्रक्रिया पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार कुछ बड़े आकार के विनिवेश करने में सफल होती है, जो चुनौतीपूर्ण है, तो वह वित्त वर्ष 22 का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने में सक्षम हो जाएगी, भले ही दूसरी पूरक अनुदान मांग में बड़े व्यय का प्रस्ताव किया गया है।’
वित्त मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने 16 दिसंबर तक 9.45 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया है, जो चालू वित्त वर्ष के 11.1 लाख करोड़ रुपये बजट अनुमान का 85 प्रतिशत है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीने में 1.98 लाख करोड़ रुपये के सीजीएसटी का समाधान किया है, जो 5.3 लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य का 37.36 प्रतिशत है। अन्य आंकड़े वित्त वर्ष के शुरुआती 7 महीनों के ही हैं।
अप्रैल-अक्टूबर के बीच केंद्र का राजकोषीय घाटा 5.47 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 36.3 प्रतिशत रहा है। पिछले साल की समान अवधि में राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य के 119.7 प्रतिशत पर पहुंच गया था। बहरहाल यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 9.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था, जबकि बजट अनुमान में 3.5 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य रखा गया था। 

जीडीपीपूरक अनुदान मांगबजट अनुमानराजकोषीय घाटाविनिवेशसंसद
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