प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भरोसा जताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट को कोरोना महामारी का असर कम करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा समय-समय पर घोषित मिनी-बजट के हिस्से के तौर पर देखा जाएगा।
बजट सत्र की शुरुआत से पहले मोदी ने कहा, ‘भारत के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है जब हमारी वित्त मंत्री ने 2020 में राहत पैकेज के तौर पर चार से पांच मिनी-बजट पेश किए हैं।’ उन्होंने कहा कि मिनी-बजट की यह शृंखला आगे भी जारी रहेगी। वित्त मंत्री सोमवार को लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी।
कोविड महामारी के प्रसार को रोकने के लिए देश भर में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई थीं। ऐसे में वित्त मंत्री ने मई में पहले पैकेज की घोषणा की थी। इसके बाद दो और राहत पैकेज का ऐलान किया गया। इन पैकेजों में समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखा गया और उन्हें मुफ्त भोजन, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम तथा प्रत्यक्ष नकद अंतरण जैसे लाभ दिए गए। इसके साथ ही कृषि और छोटे-मझोले उद्योगों को भी कई तरह की राहत दी गई।
सरकार ने दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दी गई राहत सहित कुल 29.87 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 15 फीसदी है। इनमें से आरबीआई का योगदान जीडीपी के 6 फीसदी के बराबर और सरकार की ओर से करीब 9 फीसदी के बराबर योगदान दिया गया। हालांकि स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि राहत उपायों पर सरकार की वित्तीय लागत करीब 3 लाख करोड़ रुपये रही है। वित्त मंत्री द्वारा राहत पैकेजों के तहत घोषित उपायों में तीन कृषि कानूनों से संबंधित सुधार भी शामिल थे। किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए 19 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। मोदी ने सांसदों से कहा कि वे देश के लोगों से जुड़े सभी मसलों पर चर्चा और बहस करें और उम्मीद जताई कि वे लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में अपना योगदान देने से नहीं हिचकेंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की समृद्घि के लिए संसद की कार्यवाही का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि यह इस दशक का पहला सत्र है और यह दशक भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘यह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को तेजी पूरा करने का सुनहरा अवसर है। इस दशक का भरपूर उपयोग करना चाहिए और पूरे दशक के लिए अर्थपूर्ण नतीजे को ध्यान में रखते हए इस सत्र में विभिन्न विचारों पर चर्चा की जानी चाहिए।’