केंद्रीय बजट में कौशल विकास पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया गया है और इसे विकास का साधन माना गया है. साथ ही स्किल इंडिया कार्यक्रम को नई दिशा दी गई है। इसके पीछे सरकार की क्या सोच है?
इस बजट में कौशल मंत्रालय से मुख्यतौर पर जुड़ी तीन योजनाएं हैं- स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफार्म, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना। इस बजट का पूरा ताना बाना कौशल विकास के इर्द गिर्द बुना गया है। इसमें आजीविका के सृजन, रोजगार बढ़ाने, प्रशिक्षुता, कौशल जागरूकता पर ध्यान दिया गया है। यह बजट युवाओं पर केंद्रित है। बजट में कारीगरों, औषधि क्षेत्र, महिला सशक्तीकरण, पर्यटन और हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया है- यह सभी गहन कौशल वाले क्षेत्र हैं।
हमें खुशी है कि हमारी शुरू की गई कई पहल को बजट में नई गति मिली है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सफलतापूर्वक कौशल विकास करने पर 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की गुंजाइश है।
मंत्रालय को मुहैया करवाई जाने वाली राशि में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कौशल मंत्रालय विभिन्न योजनाओं को हालिया योजना में समाहित कर कौशल विकास की पहल में सक्रिय रूप से निवेश कर रहा है। मंत्रालय नए उभरते क्षेत्रों में निवेश कर रहा है। हम कौशल विकास पर कुल खर्च का पता लगाने की कोशिश करेंगे। यह कौशल मंत्रालय की खर्च की गई राशि से कहीं अधिक होगी।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कौशल इंडिया डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च करने की घोषणा की थी। यह क्या है और कैसे काम करेगा?
इसका ध्येय स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफार्म पर विभिन्न विभागों की योजनाओं को लेकर आना और संचालित करना है। यह प्लेटफार्म मांग आधारित, नागरिक केंद्रित और खोज मंच बनने जा रहा है। इस प्लेटफार्म पर नैशनल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के कोर्स से जुड़ी कौशल योजनाएं मुहैया कराई जाएंगी। उम्मीदवार अपनी पसंद का कोर्स चुन सकेंगे और उसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। इसमें प्रशिक्षण मुहैया करवाने वालों के आंकड़े भी उपलब्ध होंगे। इस आंकड़े को नैशनल करियर सर्विस के पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इससे उम्मीदवार और नियोक्ताओं को एक मंच प्रदान किया जाएगा और वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
वित्त मंत्री ने पीएमकेवीवाईके चौथे चरण की घोषणा की थी। चौथा चरण कैसे अलग होने जा रहा है?
पीएमकेवीवाई तेजी से काम करने वाली योजना है। यह बाजार की मांग पर आधारित योजना है, क्योंकि यह अल्पावधि का प्रशिक्षण मुहैया करवाती है और यह पहले सिखाने के महत्व को भी स्वीकारती है। हम चौथे चरण में आगामी तीन वर्षों में 1.2 करोड़ उम्मीदवारों को प्रशिक्षण मुहैया करवाएंगे। इसके अलावा एक लाख प्रशिक्षण कराने वालों को भी प्रशिक्षण मुहैया करवाएंगे। इसमें हालिया कोर्स के अलावा आधुनिक दौर के कौशल जैसे कोडिंग, आर्टीफीशिल इंटेलिजेंस, क्लाउड और हरित ऊर्जा पर कोर्स मुहैया करवाए जाएंगे। इससे डिजिटल रूप से तैयार श्रमबल तैयार होगा।
हम देश भर में उच्च शिक्षा के संस्थानों से बातचीत कर रहे हैं ताकि वे अल्पावधि के पाठ्यक्रम शुरू करें। हमने उद्योग से जानकारी हासिल की है। इससे हमने सिखाने, प्रमाणपत्र और अन्य उपबंधों के मूल्यांकन और नियामक मानदंडों को मजबूत किया है। प्रशिक्षण और विश्वसनीयता बढ़ने से नियोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा। यह उद्योग को कौशल संपन्न मानव संसाधन को बेहतर भुगतान के लिए प्रेरित करने का एक तरीका है। बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह चुनौती है, जिससे हम सीधे तौर पर निपटने के लिए तत्पर हैं।