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Budget 2025: संपत्ति मालिकों को राहत, किराये पर टीडीएस कटौती की सीमा बढ़ी

वित्त मंत्री ने मकान किराये पर टीडीएस के लिए सालाना सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी है।

Last Updated- February 01, 2025 | 10:40 PM IST

वित्त मंत्री ने प्रॉपर्टी से जुड़े दो बदलावों की घोषणा की है। इनसे संपत्ति मालिकों और किरायेदारों के लिए कराधान का बोझ कम होगा और सरलता आएगी। पहला बदलाव यह है कि किसी आवास संपत्ति को खुद के कब्जे वाली संपत्ति मानने से जुड़ी तमाम शर्तें हटा दी गई हैं। दूसरा सरकार ने व्यक्ति द्वारा चुकाए गए किराये पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) कटौती की सीमा बढ़ा दी है।

शर्तें हटीं

आयकर अधिनियम की धारा 23 वार्षिक मूल्य के निर्धारण से संबंधित है। एक्विलॉ में कार्यकारी निदेशक (कर) राजर्षि दासगुप्ता का कहना है, ‘इस धारा की उप-धारा (2) में प्रावधान है कि जहां आवासीय संपत्ति मालिक के कब्जे में उसके निवास के प्रयोजन के लिए है या स्वामी किसी अन्य स्थान पर किए जा रहे अपने रोजगार, व्यवसाय या पेशे के कारण वास्तव में उसमें नहीं कर सकता है तो ऐसे मामलों में इस तरह की आवास संपत्ति का वार्षिक मूल्य शून्य माना जाएगा।’

इसके अलावा इस धारा की उप-धारा (4) में प्रावधान है कि अधिनियम की उप-धारा (2) के प्रावधान केवल दो गृह संपत्तियों पर लागू होंगे, जिन्हें गृह स्वामी द्वारा निर्दिष्ट किया गया है। अभी तक करदाता कुछ शर्तों को पूरा करने पर स्वयं के कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य (एवी) को शून्य के रूप में दावा कर सकते थे। वार्षिक मूल्य वह किराया है जो आपको किसी संपत्ति पर मिलता है। जब किसी संपत्ति पर स्वयं काबिज हो  तो उसका वार्षिक मूल्य शून्य हो जाता है। इससे पहले भी दो घरों को खुद के काबिज होने के रूप में माना जा सकता था, बशर्ते मकान मालिक कुछ शर्तों को पूरा करता हो। सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव कहते हैं, ‘अब दो घरों को बिना किसी सवाल के खुद के काबिज होने के रूप में माना जा सकता है, बशर्ते आपने इसे किराये पर न उठाया हो और इससे कोई किराया आय अर्जित न की हो।’ इस बदलाव के बाद ज्यादा आवासीय संपत्ति के मालिकों को थोड़ी राहत मिलेगी।

किराये पर टीडीएस के लिए सालाना सीमा बढ़ी

वित्त मंत्री ने मकान किराये पर टीडीएस के लिए सालाना सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी है। धारा 194आई में बदलाव किया गया है। यह धारा व्यक्तियों और एचयूएफ के अलावा अन्य संस्थाओं पर लागू होती है। राघव का कहना है, ‘यह उस स्थिति में लागू होती है जब कोई नॉन-इंडिवजुअल जैसे कि कोई कंपनी, किसी व्यक्ति को किराया देती है। यह धारा तब भी लागू होती है जब कोई व्यक्ति कर टैक्स ऑडिट के लिए उत्तरदायी होता है जैसे कि कोई पेशेवर जो सालाना 75 लाख रुपये कमाता है।’ 

First Published - February 1, 2025 | 10:40 PM IST

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