आम बजट में भारत को दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनाने पर जोर देने के साथ ही मध्य वर्ग को कर में राहत दी गई है। इसे देखते हुए भारतीय कंपनी जगत को भरोसा है कि इन कदमों से निजी क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा। एक दिन पहले जारी आर्थिक समीक्षा में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र को आगे आकर निवेश बढ़ाना होगा। वर्तमान में अदाणी समूह, टाटा समूह, जेएसडब्ल्यू, आदित्य बिड़ला समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा कुछ कंपनियां क्षमता विस्तार पर निवेश कर रही हैं। बजट में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। वेदांत समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि कर सुधार की घोषणा का असर अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘इससे विनिर्माण और खनन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा। खनन, कृषि और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित विनिर्माण क्षेत्र पर सरकार का मुख्य ध्यान है। इससे घरेलू उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। साथ ही रोजगार के लाखों अवसर भी पैदा होंगे।’
महिंद्रा समूह के ग्रुप सीईओ और एमडी अनीश शाह ने कि भारतीय उपभोक्ताओं के हाथों में खर्च करने योग्य अतिरिक्त आमदनी होने से निजी क्षेत्र पूंजीगत व्यय के लिए प्रोत्साहित होगा। शाह ने कहा, ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ इस बजट के केंद्र में था। सरकार का प्रयास विनिर्माण की लागत को कम करना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है। मांग और वृद्धि को तत्काल बढ़ावा देने के उपायों के अलावा बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के प्रस्तावों से लंबी अवधि के लिए विकास को भी प्राथमिकता दी गई है। राज्य सरकारों को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 50 साल के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज देने के प्रस्ताव से सड़क, राजमार्ग और मेट्रो परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। इससे सीमेंट, इस्पात और वाणिज्यिक वाहन उद्योग को मदद मिलेगी। हिंदुजा समूह के चेयरमैन जीपी हिंदुजा ने कहा कि ऊर्जा भंडारण प्रणाली सहित अक्षय ऊर्जा पर विशेष जोर सकारात्मक कदम है लेकिन अगर ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे को उद्योग का दर्जा दिया जाए तो इस क्षेत्र को मदद मिल सकती है।
जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल ने कहा कि सरकार ने 11.2 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च का प्रस्ताव किया है, जबकि पिछले रुख को देखते हुए उम्मीद 13 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की थी। हालांकि पूंजीगत व्यय अभी भी भारी-भरकम है जिससे बुनियादी क्षेत्रों को दम मिलेगा।