वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण मुख्य रूप से हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्रित रहा। लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण के लिए सीमा शुल्क में छूट और वाहनों के कबाड़ को बढ़ावा देने के लिए इसमें रियायतें दी गई हैं।
उन्होंने 4,000 एमवी की क्षमता वाली बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) परियोजनाओं के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की भी घोषणा की।
वहीं दूसरी ओर, 40,000 डॉलर से कम की प्रीमियम कारों की पूरी तरह से निर्मित गाड़ियां (सीबीयू) या 3,000 सीसी से कम क्षमता वाली पेट्रोल इंजन या 2,500 सीसी से कम क्षमता वाली डीजल इंजन वाले वाहनों पर सीमा शुल्क बढ़ाकर 70 फीसदी कर दिया गया है।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘हरित गतिशीलता को और बढ़ावा देने के लिए, पूंजीगत वस्तुओं के आयात और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के लिए लिथियम-आयन सेल के निर्माण के लिए आवश्यक मशीनरी के लिए सीमा शुल्क छूट का विस्तार किया जा रहा है।’
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रजत महाजन कहते हैं, ‘40,000 डॉलर से कम कीमत के सीबीयू वाले आयातित वाहनों पर सीमा शुल्क 66 फीसदी (उपकर सहित) से बढ़ाकर 70 फीसदी कर दिया गया है और एसकेडी (सेमी-नॉक्ड डाउन) पर 33 फीसदी (उपकर सहित) से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया गया है। इससे प्रीमियम और लक्जरी सेग्मेंट की गाड़ियां महंगी हो जाएंगी। कारों के लिए शीर्ष जीएसटी लगाने और मार्जिन के लिए लेखांकन के बाद एक्स-शोरूम कीमत 1-2 प्रतिशत तक बढ़ सकती है यदि ओईएम इसे पूरी तरह पास करता है।’
वाहन कबाड़ नीति 2022 के तहत केंद्र और राज्य सरकारें पुराने वाहनों को बदलने के लिए खरीदे गए वाहनों के लिए रोड टैक्स पर 25 फीसदी की छूट प्रदान करेंगी।
इसको समझाते हुए सीतारमण ने कहा कि बजट 2021-22 में घोषित वाहन कबाड़ नीति के अलावा, केंद्र सरकार के तहत पुराने वाहनों को कबाड़ करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए अब अधिक धन आवंटित किया गया है।सीतारमण ने कहा, ‘इसके साथ ही राज्य सरकारों को भी पुराने वाहन एवं एंबुलेंस बदलने में केंद्रीय समर्थन दिया जाएगा।’
आईईएसए के कार्यकारी निदेशक देवी प्रसाद दास कहते हैं, ‘4,000 एमवी की क्षमता वाली बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) परियोजनाओं के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की घोषणा से भारत में बैटरी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और ग्रिड के लिए उच्च अक्षय अपनाने में मदद मिलेगी। इससे एसईसीआई, एनटीपीसी और विभिन्न राज्य एजेंसियों को भारत में अधिक बैटरी भंडारण परियोजनाओं के साथ आने में मदद मिलेगी।’
लिथियम आयन बैटरी बनाने में इस्तेमाल होने वाले पूंजीगत वस्तुएं के लिए सीमा शुल्क में छूट से सेक्टर और पीएलआई योजनाओं को और बढ़ावा मिलेगा।