वित्त वर्ष 2024 के आम बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ वैश्विक आर्थिक माहौल और मध्यम से दीर्घ अवधि में भारत की उसमें भूमिका पर आज विचार-विमर्श किया। अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य शीर्ष सरकारी अधिकारियों के सामने सुझाव रखे कि जब कई विकसित देशों के मंदी में फंसने की आशंका है तब भारत किस तरह आने वाले वर्षों में वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति का लाभ उठा सकता है। ये सुझाव रोजगार सृजन, विनिर्माण, कृषि, सामाजिक क्षेत्र, बुनियादी ढांचा निवेश, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा जलवायु परिवर्तन जैसे विविध विषयों और क्षेत्रों से संबंधित हैं।
नीति आयोग में आयोजित बैठक के बाद आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ओर जोखिम हैं मगर दूसरी ओर विश्व का बदलता माहौल डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और तरह-तरह के मौके प्रदान कर रहा है। इन मौकों का फायदा उठाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल बिठाने और लीक से हटकर सोचने की आवश्यकता है।’ यह विचार-विमर्श ‘वैश्विक बाधाओं के बीच भारत का विकास और मजबूती’ विषय पर आधारित था।
चर्चा की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि बैठक में इस पर विचार किया गया कि दीर्घावधि में क्या करने की जरूरत है और अर्थव्यवस्था के समक्ष किस तरह की चुनौतियां हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के बारे में सुझाव दिए गए और वैश्विक अड़चनों के बीच उभरते अवसरों का लाभ उठाने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजित करने, कृषि क्षेत्र को नए सिरे से व्यवस्थित करने, ट्रेड बास्केट में विविधता लाने पर भी जोर दिया गया।’ समझा जाता है कि प्रत्येक अर्थशास्त्री को सुझाव देने के लिए तीन मिनट का समय दिया गया था, जो विचारों को बेबाकी से रखने के लिए काफी था।
आधिकारिक बयान के अनुसार बैठक में हिस्सा लेने वालों ने कृषि से लेकर विनिर्माण तक विभिन्न विषयों पर प्रधानमंत्री के साथ विचार एवं सुझाव साझा करने के साथ ही भारत के विकास की गति बनाए रखने के तरीकों पर व्यावहारिक उपाय भी सुझाए। बयान में कहा गया, ‘यह माना गया कि वैश्विक स्तर पर चल रही प्रतिकूल घटनाएं अभी जारी रहने की संभावना है। इनसे जूझने की भारत की क्षमता और मजबूत करने के लिए रणनीतिक सिफारिशें भी साझा की गईं। सबने यह भी माना कि वैश्विक अड़चनों के बीच भारत चमकते हुए सितारे की तरह दिखा है। सभी क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास की मदद से इसी बुनियाद पर वृद्धि की नई इबारत लिखे जाने की जरूरत भी जताई गई।’
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बैठक में मोदी ने भारत में तेजी से बढ़ रहे डिजिटलीकरण, देश भर में तेजी से अपनाए जा रहे फिनटेक तथा समावेशी विकास का उल्लेख किया। उन्होंने ‘नारी शक्ति’ को देश के विकास का चालक बताया और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने तथा उन्हें सक्षम बनाने के प्रयास जारी रखने का भी आह्वान किया। बयान में कहा गया, ‘अभी अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष चल रहा है। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में इसके जरिये बदलाव लाने की क्षमता देखते हुए बाजरा बढ़ावा देने की जरूरत बताई। इसमें कार्बन तटस्थता, प्राकृतिक खेती और पोषण के किफायती स्रोत भी शामिल हैं।’
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीब गौबा, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन, नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी परमेश्वरन अय्यर शामिल थे। अर्थशास्त्रियों में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य तथा पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी, इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शंकर आचार्य, सुरजीत भल्ला, शुभाशिष गंगोपाध्याय तथा भारतीय स्टेट बैंक के सौम्य कांति घोष आदि शामिल थे।