कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के बाद अब विनिर्माता कंपनियां सिएट और अपोलो टायर कीमतें बढ़ाने की योजना बना रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में प्राकृतिक रबर की कीमतों में वृद्धि हुई है और डॉलर के मुकाबले रुपये में भी गिरावट आई है।
प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है जबकि डॉलर के मुकाबले रुपये एक महीने पहले के 83 से कमजोर होकर 83.5 आ गया। कच्चे तेल के सह उत्पादों जैसे सिंथेटिक रबर और नायलॉन फैब्रिक की बढ़ती कीमतों से भी इनपुट लागत में इजाफा हुआ है।
ये सभी टायर उत्पादन के प्रमुख कंपोनेंट हैं। पिछले पांच महीनों में प्राकृतिक रबर की कीमत 150 रुपये से बढ़कर 180 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है और सिंथेटिक रबर और नायलॉन फैब्रिक की कीमतें भी बढ़ी हैं।
पिछले तीन महीनों में कच्चे तेल की कीमतें 88 से 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रही हैं। ये पिछली तिमाही के मुकाबले 6 से 8 फीसदी वृद्धि को दर्शाती हैं, जिससे विनिर्माताओं के मार्जिन पर दबाव बढ़ गया है। सिएट के मुख्य वित्त अधिकारी कुमार सुब्बैया को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कच्चे माल की लागत पिछली तिमाही के मुकाबले 4 से 5 फीसदी बढ़ जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘हमें मूल्य निर्धारण के जरिये कच्चे माल की लागत में इस वृद्धि को कम करना होगा। इसी तरीके से हमें इन्वेंट्री में रणनीतिक खरीदारी का भी प्रबंधन करना होगा। मगर इन उपायों की भी सीमाएं होंगी।’
अपोलो टायर्स ने इस तिमाही में प्रतिस्थापन बाजार में 3 फीसदी मूल्य वृद्धि की घोषणा की है। इसका लक्ष्य कंपनी की लाभप्रदता पर कच्चे माल की बढ़ती लागत के असर को कम करना है। विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) अनिवार्य होने से टायर विनिर्माताओं के मुनाफे पर असर पड़ा है। इन नियमों के तहत कंपनियों को विशिष्ट अपशिष्ट टायर रीसाइक्लिंग लक्ष्यों को पूरा करना होगा। इसके लिए उन्हें पंजीकृत रीसाइक्लर्स से प्रमाणपत्र खरीदना होगा।
अपोलो टायर्स, सिएट और एमआरएफ ने ईपीआर के अनुपालन के लिए आवश्यक प्रावधान के कारण मुनाफे पर असर पड़ने के बारे में भी बताया है। एक अन्य प्रमुख टायर कंपनी एमआरएफ के मुनाफे में भी एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में गिरावट हुई है। पिछली तिमाहियों में अधिक बिक्री और कच्चे माल की कम लागत के उसे यह वृद्धि हुई थी।
ईपीआर नियमों के अनुपालन के लिए बीती तिमाही में 145 करोड़ रुपये का प्रावधान करने से एमआरएफ का मुनाफा प्रभावित हुआ। सिएट ने ईपीआर का अनुपालन करने के लिए 107 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें एक हिस्सा पिछले वित्त वर्ष का है।