फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफेक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम-2) के तहत सब्सिडी में हेरफेर की मौजूदा जांच के बीच, केंद्र सरकार ने शनिवार को हीरो इलेक्ट्रिक और ओकीनावा ऑटोटेक को कुल 246 करोड़ रुपये चुकाने के नोटिस जारी किए।
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा 29 अप्रैल को जारी किए गए नोटिस के अनुसार, हीरो इलेक्ट्रिक और ओकीनावा को 133 करोड़ रुपये और 116 करोड़ रुपये चुकाने की जरूरत होगी।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने इन नोटिस की प्रतियों की समीक्षा की है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद दोनों कंपनियों को फेम-2 योजना के पंजीकरण से हटा दिया गया है और वित्त वर्ष 2019-20 से प्राप्त की गई सब्सिडी की वसूली एक महीने के अंदर की जाएगी।
मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है, ‘एमएचआई द्वारा प्रस्तावित उपर्युक्त कार्रवाई के संदर्भ में किसी तरह का जवाब हीरो इलेक्ट्रिक और ओकीनावा ऑटोटेक को यह पत्र जारी किए जाने की तारीख से 7 दिन के अंदर देना पड़ सकता है, ऐसा नहीं किए जाने पर कानून के तहत अन्य कार्रवाई की जाएगी।’
हीरो इलेक्ट्रिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को भेजी जानकारी में मंत्रालय से नोटिस मिलने की बात स्वीकार की है, लेकिन ओकीनावा ने इससे इनकार किया है। हालांकि हीरो इलेक्ट्रिक ने दावा किया है कि संबद्ध अवधि में उसके वाहनों में फेम प्रमाणन के तहत नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया था।
हीरो इलेक्ट्रिक के एक अधिकारी ने बयान में कहा है, ‘हां, हमें तीन-चार साल पहले निर्मित की गईं बाइकों के संबंध में पत्र मिले हैं। हमने संबद्ध अवधि में फेम से जुड़े स्थानीय दिशा-निर्देशों की जांच की और सुनिश्चित किया कि हमारी बाइक पूरी तरह से सीएमवीआर/फेम प्रमाणन के अनुरूप हैं।’
ओकीनावा ऑटोटेक के प्रबंध निदेशक एवं संस्थापक जीतेंदर शर्मा ने कहा, ‘कंपनी को 2019-20 से सब्सिडी लौटाने के संबंध में सरकार से कोई नोटिस नहीं मिला है। ओकीनावा ऑटोटेक ने हमेशा से सरकारी नीतियों का पालन किया है।
मौजूदा समस्या उद्योगव्यापी है और मंत्रालय के पास सभी ओईएम के जरूरी प्रमाण हैं। हमें विश्वास है कि सरकार अपनी जांच में निष्पक्षता बरतेगी और उसका निर्णय उद्योग की सभी कंपनियों को मान्य होगा, न सिर्फ ओकीनावा ऑटोटेक के लिए।’
उन्होंने कहा कि वह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार लंबित सब्सिडी के मुद्दे को भी सुलझाएगी, जो पिछले 12 महीने से लटका हुआ है। दोपहिया निर्माता के खिलाफ कार्रवाई से पहले एमएचआई की जांच रिपोर्ट में पाया गया था कि आयातित कलपुर्जों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, जो इन दो ओईएम द्वारा कथित तौर पर फेज्ड मैन्युफेक्चरिंग प्रोग्राम (पीएमपी) दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
मंत्रालय ने दोनों कंपनियों से यह नोटिस मिलने की तारीख से 21 दिन के अंदर राशि जमा करने को कहा है।