प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दो कार्यकाल के दौरान आवागमन में हरित परिवर्तन और इसकी आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षित करना विभिन्न प्रमुख योजनाओं जरिये महत्वपूर्ण एजेंडा रहा है। इसमें सबसे उल्लेखनीय है फेम। अब राजग के तीसरे कार्यकाल में हरित आवागमन के प्रति यह रुझान कायम रहने तथा तेज होने की उम्मीद है।
हरित आवागमन
मोदी की पहली सरकार के तहत महत्वाकांक्षी फेम (फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को मुख्यधारा में लाया गया था। बाद में इस पहल का विस्तार फेम 2 की शुरुआत के साथ किया गया जिससे ईवी के मामले में सरकार की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता झलकती है। वाहनों का तेज़ी से अपनाने और विनिर्माण योजना के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को मुख्यधारा में लाया गया था। बाद में इस पहल का विस्तार फेम 2 के साथ किया गया।
बुनियादी ढांचे और विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सरकार ने उत्पादन से जुड़ी दो महत्वपूर्ण प्रोत्साहन योजनाएं (पीएलआई) शुरू कीं – वाहन क्षेत्र के लिए 18,100 करोड़ रुपये की पीएलआई और उन्नत रासायनिक सेल के लिए 26,000 करोड़ रुपये की पीएलआई। इन उपायों का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक आवागमन के लिए मजबूत ईवी वाहन तंत्र का निर्माण करना था।
चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक एक दिन पहले निर्णायक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएमईपीसीआई) शुरू की। नई पहल के तहत भारत में कम सब्सिडी पर कारों का आयात किया जा सकेगा। लेकिन इसमें शर्त यह है कि आयातक कंपनियों को भारत में निवेश करना होगा जिससे कि स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिले और घरेलू बाजार मजबूत हो।
चूंकि मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है। इसलिए इन योजनाओं से भारत में हरित आवागमन को बढ़ावा मिलना तय है। साथ ही, बैटरी स्वैपिंग जैसी बाधाओं को दूर करना तथा पीएलआई की समयसीमा को पूरा करना राजग सरकार के प्रमुख कार्य हो सकते हैं।