कार्बन उत्सर्जन करने वाले डीजल वाहनों पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज वाहन उद्योग को इनके उत्पादन में कटौती करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो सरकार इन वाहनों पर 10 फीसदी जीएसटी और लगा सकती है।
वाहन उद्योग के संगठन सायम की सालाना आम बैठक में उन्होंने कहा, ‘देश में जीवाश्म ईंधन का आयात बढ़ रहा है और ऐसे ही बढ़ता रहा तो लोगों को प्रदूषण से बहुत परेशानी होगी। लिहाजा आपको डीजल और पेट्रोल छोड़ने होंगे। मुझे उम्मीद है कि आप खुद ही यह काम कर लेंगे।’
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो डीजल से चलने वाला जेनरेटर हो या कोई और मशीन, वह वित्त मंत्री से उन सभी पर 10 फीसदी अतिरिक्त जीएसटी लगाने का अनुरोध करेंगे। वाहनों पर अभी 28 फीसदी जीएसटी लगता है। उसके ऊपर वाहन की श्रेणी के हिसाब से 1 से 22 फीसदी उपकर लगाया जाता है। स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ 22 फीसदी का तगड़ा क्षतिपूर्ति उपकर वसूला जाता है।
गडकरी के इस बयान के बाद वाहन कंपनियों के शेयर औंधे हो गए, जिसे देखकर उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा कि डीजल वाहनों पर अलग से जीएसटी लगाने के किसी भी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है। बीएसई का ऑटो सूचकांक आज 1.77 फीसदी गिरकर 36406.77 अंक रह गया। टाटा मोटर्स का शेयर 2.19 फीसदी, महिंद्रा एंड महिंद्रा 1.55 फीसदी और अशोक लीलैंड का शेयर 2.68 फीसदी लुढ़क गया।
गडकरी ने ही डीजल वाहनों पर कड़ा रुख नहीं दिखाया है। इस साल मई में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि भारत को 2027 तक डीजल वाले चारपहिया वाहनों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए और इनकी जगह बिजली तथा गैस से चलने वाले वाहनों को दी जानी चाहिए। जिन शहरों में आबादी 10 लाख से ज्यादा है और प्रदूषण भी अधिक है, वहां तो ऐसा जरूर होना चाहिए। मगर इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गाया है।
गडकरी ने कहा, ‘अगर आपने डीजल वाहनों का उत्पादन नहीं घटाया तो हमें कर बढ़ाना पड़ेगा। डीजल बहुत ही खतरनाक ईंधन है और हम इसे भारी मात्रा में आयात करते हैं। मैं डीजल वाले जेनरेटर बनाने वालों के भी पीछे हूं मगर अभी तक बहुत कुछ कर नहीं पाया हूं।’
गडकरी ने कहा कि जैसे भी हो वाहन उद्योग को इन्हें अलविदा कह देना चाहिए। उन्होंने कहा,‘ मैं आपसे बहुत विनम्रता से कह रहा हूं वरना हम इन पर कर बढ़ाते रहेंगे, जो इतना हो जाएगा कि आपके लिए डीजल गाड़ियां बेचना मुश्किल हो जाएगा।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदूषण बड़ी समस्या है और यह देश की सेहत बिगाड़ रही है। उन्होंने कहा,‘ पिछले आठ-दस दिन में मैंने एक पत्र तैयार किया है। आज शाम साढ़े पांच बजे वित्त मंत्री मुलाकात करने मेरे घर आने वाली हैं। मैं उनसे अनुरोध करने जा रहा हूं कि वह डीजल इंजन से चलने वाली हर चीज पर 10 फीसदी जीएसटी बढ़ा दें। स्थिति इसी से बदलेगी वरना अभी तो लोग सुनना ही नहीं चाहते।’
उन्होंने वाहन उद्योग को खुद ही कदम और भारतीयों को जल्द से जल्द पेट्रोल-डीजल वाहनों से मुक्ति दिलाने की अपील की। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जब मैं बच्चा था, तैरने से डरता था। मैं पानी के पास खड़ा था। मेरे शिक्षक आए और मुझे धक्का दे दिया। उसी दिन मैं तैरना सीख गया। इसलिए मेरे ख्याल से मेरा काम आप को धक्का देना है और मैं जानता हूं कि आप सब अच्छे तैराक हैं और पानी में उतरते ही आप जंग जीत लेंगे।’
2014 में भारत में कुल यात्री वाहनों में 53 फीसदी डीजल वाले थे, जो 2023 में घटकर 18 फीसदी रह गए। गडकरी ने कहा कि यह बहुत अच्छा संकेत है। बाद में एक्स पर अपने बयान में मंत्री ने कहा कि डीजल वाहनों पर 10 फीसदी अतिरिक्त जीएसटी लगाने की खबरों पर स्थिति फौरन स्पष्ट करना जरूरी है। सरकार इस समय ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।
गडकरी के बयान पर देसी-विदेशी वाहन कंपनियों ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी। देश में डीजल यात्री वाहन बाजार में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, किया इंडिया, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर, ह्युंडै मोटर इंडिया और टाटा मोटर्स प्रमुख हैं।
ह्युंडै मोटर इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी तरुण गर्ग ने कहा कि भारत में कंपनी के 13 में से केवल 4 यानी एक तिहाई मॉडलों में डीजल इंजन भी आता है। चार साल पहले 95 फीसदी वाहन डीजल इंजन वाले होते थे। अब कुल बिक्री में केवल 18 फीसदी हिस्सेदारी डीजल वाहनों की है।