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लेखक : आर कविता राव

आज का अखबार, लेख

आयकर अनुपालन: बढ़त भी, चुनौतियां भी; लेकिन निल रिटर्न की ऊंची हिस्सेदारी बनी चिंता

आयकर व्यवस्था की चिंताओं में प्रमुख है उसके दायरे का विस्तार करना यानी अधिक से अधिक संख्या में करदाताओं को इस व्यवस्था के अंतर्गत लाना। बड़े आधार यानी करदाताओं की अधिक संख्या वाली कर व्यवस्था ज्यादा स्थिर मानी जाती है और राजस्व का अधिक सशक्त स्रोत भी होती है। पहले से निर्धारित समय या अंतराल […]

आज का अखबार, लेख

असंगठित उपक्रमों का जाल: औपचारिक नौकरियों की बढ़ोतरी में क्या है रुकावट?

देश में सेवा क्षेत्र के रोजगार संबंधी रुझानों पर नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाले इस क्षेत्र में रोजगार के हालात को एक बार फिर प्रकाश में ला दिया है। रिपोर्ट देश में रोजगार तैयार करने में सेवा क्षेत्र की भूमिका को […]

आज का अखबार, लेख

टैक्स से लेकर जीडीपी तक: बेहतर कलेक्शन वाले देशों से भारत क्या सीख सकता है?

भारत के कर एवं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात पर होने वाली चर्चाओं में अक्सर अन्य देशों की तुलना में भारत के प्रदर्शन का जिक्र किया जाता है। इसका मूल विश्लेषण अन्य समान देशों के साथ सामान्य तुलना या स्टोकेस्टिक फ्रंटियर विश्लेषण जैसे सांख्यिकीय तरीकों पर आधारित है। विश्व बैंक के दक्षिण एशिया विकास अपडेट, […]

आज का अखबार, लेख

GST में दो चरणों वाले सुधार की दरकार: शार्ट टर्म में मांग को बढ़ावा और लॉन्ग टर्म में दरों में समायोजन

भारत के कारोबारी जगत के मौजूदा आर्थिक माहौल के बीच ही इसे एक और झटका लगा है। अमेरिकी सरकार द्वारा घोषित दंडात्मक शुल्क 27 अगस्त से लागू हो गए हैं। इसके तहत भारत के विभिन्न तरह के निर्यात पर 50 फीसदी का आयात शुल्क लगाया गया है। इन शुल्कों का प्रभाव वस्त्र, जूते-चप्पल, रत्न एवं […]

आज का अखबार, लेख

भारत का GST अब दोराहे पर: सुधार के लिए क्या हैं विकल्प और समाधान

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों के अगले चरण को लेकर काफी उम्मीदें की जा रही हैं। ऐसी जानकारी आ रही है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जीएसटी में बदलाव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अब जीएसटी परिषद में इस पर चर्चा होने के साथ ही निर्णय लिए जाएंगे। यह वास्तव में राजस्व […]

आज का अखबार, लेख

व्यक्तिगत आय कर संग्रह में वृद्धि उत्साहजनक, लेकिन टिकाऊपन पर संशय

गत 19 जून तक के प्रत्यक्ष कर संग्रह से संबंधित हालिया प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक संग्रह में नरमी आई है। जानकारी के मुताबिक विशुद्ध कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के कर संग्रह की तुलना में 1.39 फीसदी कम है। यह कमी कॉरपोरेशन कर संग्रह में कमी की बदौलत आई है। क्या यह अल्पावधि का उतारचढ़ाव […]

आज का अखबार, लेख

भ्रामक हो सकती है देशों के कर अंतर की तुलना

देश में राजकोषीय नीति पर चर्चा के दौरान इस बात पर लगातार जोर दिया जाता है कि देश का कर और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात बढ़ाने की जरूरत है। होने वाली नीतिगत चर्चाओं में लगातार इस बात पर जोर दिया जाता है कि देश के कर-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात में सुधार करने की […]

आज का अखबार, लेख

अनिश्चितता के बीच भारत के समक्ष विकल्प

टैरिफ को लेकर उभरते नए परिदृश्य की वजह से वैश्विक आर्थिक माहौल में अनिश्चितता का एक नया पहलू शामिल हो गया है। टैरिफ इस समय चल रही द्विपक्षीय वार्ताओं के केंद्र में हैं। ऐसे में यह पड़ताल करना उपयोगी होगा कि भारत पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है। हम अर्थव्यवस्था के साथ-साथ राजकोषीय स्तर […]

लेख

भरपूर धन के बाद भी सतत विकास में चुनौती

भारत ने सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक में अच्छी प्रगति की है। विभिन्न देश संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास के लक्ष्यों की दिशा में जितनी अधिक उपलब्धि हासिल करते हैं, सूचकांक पर उनकी रैंकिंग उतनी ही बेहतर होती जाती है। भारत ने 2018 में इसमें 57 अंक मिले थे, जो 2023-24 में बढ़कर 71 […]

लेख

बदलाव के इंतजार में जीएसटी व्यवस्था

सात वर्षों से अधिक का सफर तय करने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था ऐसे मोड़ पर पहुंच रही है, जहां इसके ढांचे में ही बदलाव करने पर बातचीत की जानी चाहिए। सरकार ने मुआवजा देने का अपना वादा पूरा करने के लिए कोविड-19 महामारी के बाद लगातार कर्ज लिए हैं, जिन्हें नवंबर […]

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