शहरी विकास के लिए व्यापक दृष्टिकोण जरूरी
वर्तमान समय में जिस रूप में शहरों का अस्तित्व दिख रहा है उसे देखते हुए उनके किसी दूसरे स्वरूप या अतीत में उनकी अलग संरचना की कल्पना करना मुश्किल हो जाता है। इस समय अत्याधुनिक या स्मार्ट शहरों का हाल कुछ इस तरह है कि जैसे वे आरंभ से ही ऐसे थे। अगर आप गुरुग्राम […]
प्रदूषण से घुट रहा भारत के शहरों का दम
कोरोना महामारी के दौरान की वे निराशाजनक यादें पिछले कुछ हफ्तों में ताजा हो गईं जब घर से बाहर निकलने वाले हर व्यक्ति के मुंह पर एन95 मास्क दिखने लगा। राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर धुएं के बादल मंडरा रहे थे। हाल के वर्षों में भारत विशेषकर देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में सर्दी का […]
Editorial: शहरी गरीबी से निपटना…गंभीरता से विचार करने की जरूरत
शहरी माहौल के जटिल सवालों के बीच एक अकाट्य सत्य मौजूद है- शहरी अनौपचारिक क्षेत्र लंबे समय से शहरों की गरीबी से स्वाभाविक रूप से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, अगर हम वाकई शहरी गरीबी खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तो हमें अपने शहरों के अक्सर नजरअंदाज किए गए चेहरों को समझने के लिए गंभीरता […]
शहरी झुग्गी बस्तियां और विकास का क्रम
झुग्गी बस्तियों को शहरी नृविज्ञान के स्थानों के रूप में प्रस्तुत करते समय हमारे सामने दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न होती हैं- पहला, ऐसी जगहों को शहरी पारिस्थितिकी में ‘सामाजिक कारक’ के रूप में परिकल्पित करना, जैसा कि कुछ नृविज्ञानी करेंगे और दूसरा, यह समझना कि झुग्गियों के इर्दगिर्द की छवियां कैसी हैं और ये वहां […]
भारत के शहर: निरंतरता की कथा
दुनिया भर में शहरों को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। इन गतिविधियों में क्या शहरी रहा है इसका निर्धारण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे जीवित इकाइयां हैं और अपने आप में इतिहास के हिस्सों को संजोए हैं। अक्सर शहरों […]
Opinion: शहर, जलवायु परिवर्तन और शहरी बाढ़ पर सवाल
शहरों में बढ़ते खतरों से निपटने के नगर निकाय और सरकार के प्रयासों में सहायता के लिए नागरिकों के नेतृत्व वाली कार्य योजनाओं की भी आवश्यकता है। बता रहे हैं अमित कपूर और विवेक देवरॉय दुनियाभर में शहरीकरण न केवल एक वांछित लक्ष्य है बल्कि यह अब एक अपरिहार्य परिणाम में बदलता जा रहा है। […]
शहरों की सबसे बड़ी मजबूती संस्कृति
विशेषज्ञों का कहना है कि संस्कृति उतनी ही पुरानी है जितनी मानवता। मगर संस्कृति के साथ विशेष बात यह कि इसका निरंतर विकास होता रहता है। हमारा इतिहास क्या है और यह वर्तमान से किन मायनों में भिन्न है? शहरों में हम किस तरह अपने पूर्वजों के साथ जुड़ाव बरकरार रख सकते हैं? शहरीकरण का […]
प्राकृतिक आपदाओं के लिए हमारे शहर कितने तैयार?
दुनिया भर के शहर पहले की तुलना में आपस में बहुत अधिक जुड़े हुए हैं और उनकी आबादी का घनत्व (population density) भी काफी अधिक बढ़ गया है। इसके सामाजिक और आर्थिक लाभ बहुत अधिक हैं लेकिन इसके साथ ही दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। किसी भी शहर के सामने कई तरह की दिक्कतें आती […]
शहरी संपन्नता और टिकाऊ विकास में इसकी भूमिका
शहरों को शहरी संपन्नता का एक ऐसा नया स्वरूप अपनाने की आवश्यकता है जो टिकाऊ विकास के अनुरूप हो। बता रहे हैं अमित कपूर और विवेक देवरॉय शहरीकरण और संपन्नता पर कोई अध्ययन हमें संपूर्ण एवं स्थायी विकास में इनकी भूमिका पर विचार करने की दिशा में ले जाता है। शहरीकरण 21वीं शताब्दी का सबसे […]
स्मार्ट सिटी की परिकल्पना के क्या हैं मायने
प्रधानमंत्री के महत्त्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी अभियान में उन शहरों को बढ़ावा देने का विचार शामिल है जो अपने नागरिकों के जीवन और उनके रहन-सहन को आसान बनाते हुए सहूलियत दे सकें और जहां के मूल बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ एक साफ-सुथरे और लंबे समय तक अक्षुण्ण रहने वाला पर्यावरण हो। इसके अलावा स्मार्ट […]