नेहरू को दोष देना बंद करें: बड़ा सवाल यह है कि उनके बाद भारत ने रास्ता क्यों नहीं बदला?
देश की कई समस्याओं के लिए अभी भी नेहरू को जिम्मेदार ठहराया जाता है। अपनी ताजा किताब ‘द नेहरू इरा इकनॉमिक हिस्ट्री ऐंड थॉट ऐंड देयर लास्टिंग इंपैक्ट’ में अरविंद पानगड़िया ने जवाहरलाल नेहरू की सभी आर्थिक गलतियों को याद किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कैसे इन गलतियों का प्रभाव […]
ढाका से कोलंबो तक: GenZ ने भ्रष्ट शासन पर गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया है
हाल ही में आयोजित सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उचित ही यह बात रेखांकित की है कि बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में सरकारों के गिरने में शासन व्यवस्था एक प्रमुख कारण रही। जेन जी (सन 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी) के विद्रोहों ने भारत […]
भारत के विकास के लिए लोकलुभावन नीतियों को सुधारना आवश्यक
आर्थिक लोकलुभावनवाद एक राजनीतिक दृष्टिकोण है जो आर्थिक मुद्दों को आम जनता और भ्रष्ट या वास्तविकता से कटे हुए अभिजात वर्ग के बीच संघर्ष के रूप में प्रस्तुत करता है। इसमें अक्सर राष्ट्रवाद की तीव्र भावना होती है, जो वैश्वीकरण का विरोध करती है। लोकलुभावनवाद दोबारा चलन में है, इस बार यह अमेरिका, हंगरी और […]
ट्रंप के टैरिफ झटकों ने भारत को दूसरी पीढ़ी के सुधारों की ओर धकेला
भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में जो चरणबद्ध सुधार आरंभ हुए थे और जिन्हें उनके बाद हर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा और गहरा किया गया, वह सिलसिला अब बाधित हो गया है। डॉनल्ड ट्रंप अब भारत को चीन के साथ भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में एक रणनीतिक साझेदार के रूप […]
भारत और अमेरिका के लिए दांव बहुत बड़े, एक लाभदायक व्यापार समझौते की जरूरत
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘दुनिया एक व्यायामशाला है जहां हम स्वयं को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।’ परंतु डॉनल्ड ट्रंप की मनमानी शुल्क दरों के बीच विश्व व्यापार व्यवस्था व्यायामशाला के बजाय कुश्ती का अखाड़ा बनती दिख रही है। ट्रंप ने हर देश के साथ अलग से बातचीत करके व्यापार समझौते करने की […]
इस ‘दिलचस्प समय में’ भारत के लिए है बड़ा अवसर
डॉनल्ड ट्रंप के कदमों ने विश्व अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने हर प्रकार के आयात पर 10 फीसदी बुनियादी टैरिफ लागू कर दिया और स्टील, एल्युमीनियम, वाहनों और वाहन कलपुर्जों पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात कही। उन्होंने बेतुके ढंग से जवाबी शुल्क लगाने की बात कही, हालांकि फिर उसके […]
न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन का आ गया है समय
डॉनल्ड ट्रंप के कदमों से दुनिया भर में अनिश्चितता फैल गई है और बराबरी के शुल्क की धमकी देकर उन्होंने भारत की शुल्क व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। ऐसे में लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और अफसरशाही कम कर प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने का वक्त आ गया है। बजट में उल्लिखित विनियमन के अलावा भारत को सरकार का […]
डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व में विघटन का दौर
विश्व व्यवस्था आज जिस दौर से गुजर रही है उसे मैं ‘विशाल विघटन’ के रूप में परिभाषित करना चाहूंगा। वर्ष 2008-2009 के वैश्विक वित्तीय संकट को ‘ विशाल अपस्फीति’ कहा गया था। 2020 की महामारी को ‘विशाल लॉकडाउन’ का नाम दिया गया था। इन घटनाओं ने बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रभाव डाला लेकिन विश्व व्यवस्था […]
कर कटौती स्वागत योग्य मगर पर्याप्त है क्या?
पिछले तीन-चार साल में सार्वजनिक व्यय पर बहुत ज्यादा जोर देने के बाद सरकार ने खपत और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आय कर कटौती की मदद लेने का निश्चय किया है। पूंजीगत व्यय अब भी ज्यादा है मगर उसमें ठहराव आया है। बजट में जो पूंजीगत व्यय बताया गया है उसका काफी हिस्सा […]
भारत के सामने 2025 में है अनिश्चितता भरी दुनिया
भारत के लिए 2025 की शुरुआत कुछ दुख भरी रही क्योंकि पिछले साल के अंत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया। सिंह वह व्यक्ति थे जिन्होंने 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत कर देश को तेज वृद्धि की राह पर ले जाने में मदद की। इस समय अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही […]









