क्यू ने कहा कि वर्ष 1937 में लिखी गई ताशेर देश में उपयुक्त संकेत उनकी शैली के बेहद मिलते जुलते हैं, क्योंकि उन्हें रूपकों के साथ काम करना पसंद है।
उन्होंने कहा, यहां मैंने सौ वर्ष पहले लिए गए संवादों को जस का तस उपयोग किया है। यह मूलत: टैगोर का काम है और मैं इसमें छेड़छाड़ नहीं करना चाहता था।
ताशेर देश दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में प्रदर्शित की जा चुकी है।
उन्होंने कहा, यह फिल्म दिखाती है कि टैगोर की सोच कितनी रोमांटिक और उन्नत थी। महिलाओं की आजादी के सदर्भ में उन्होंने जो कल्पना की थी, वह उनकी मृत्यु के वर्षों बाद हकीकत में तब्दील हुई।
भाषा