मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये रिजर्व बैंक मार्च 2010 से लेकर 13 बाद नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की। हालांकि यह अभी केंद्रीय बैंक के 5 प्रतिशत के सामान्य स्तर से उंचा है।
गोकर्ण से सवालिया लहजे में कहा, उच्च मुद्रास्फीति के कारण उस प्रकार की अशांति क्यों नहीं हो रही है जैसा कि पूर्व में हुआ था? उन्होंने कहा, इसका कारण यह हो सकता है कि गांवों में लोगों की मजदूरी पिछले पांच साल से करीब 20 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है।
सप्ताहांत प्रबंधन से जुड़े कार्यक्रम में गोकर्ण ने कहा, उच्च मुद्रास्फीति खासकर खाद्य वस्तुओं की उंची कीमत के कारण पिछले 50-60 साल में जो अशांति हुई, उस प्रकार की स्थिति हाल-फिलहाल देखने को नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि श्रम बाजार में निचले स्तर पर जो मजदूरी है, उसमें निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे जीवन-स्तर की लागत बढ़ रही है।
रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख गोकर्ण ने कहा, इसका मतलब है कि उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद लोग वास्तव में यह महसूस कर रहे हैं कि उनकी स्थिति पहले से बेहतर है।
सकल मुद्रास्फीति अक्तूबर महीने में 7.45 प्रतिशत रही।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
भाषा