अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारतीय उत्पादों पर 1 अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ लगाने की अप्रत्याशित घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को गिरावट के साथ खुल सकते हैं। ट्रंप ने रूस से भारत के ईंधन आयात पर भी जुर्माना लगाने का संकेत दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा के बाद गिफ्ट सिटी में निफ्टी डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार आधा फीसदी से ज्यादा घट गया। विश्लेषकों का कहना है कि गुरुवार को शेयर बाजार 1 से 2 फीसदी के बीच गिर सकते हैं।
गारमेंट, फार्मास्युटिकल, रत्न और आभूषण, वाहन और पेट्रोरसायन सेक्टरों के शेयरों में ज्यादा कमजोरी आ सकती है। हालांकि जिन कंपनियों का अमेरिका में कोई निवेश नहीं है, वे भी आर्थिक विकास पर पड़ने वाले संपूर्ण असर की चिंताओं से दबाव में आ सकती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर अमेरिका के साथ कोई समझौता नहीं होता है तो जीडीपी वृद्धि दर में 20 आधार अंक की कमी आ सकती है।
कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, ‘टैरिफ पर बाजार नकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। अमेरिकी नीति की अनिश्चितता के बावजूद निवेशकों को अमेरिका और भारत के दीर्घावधि हितों को देखते हुए समझौते की उम्मीद थी।’
सेक्टरों की बात करें तो टैरिफ वाली वस्तुओं में फार्मास्युटिकल्स को शामिल करने का बड़ा असर पड़ सकता है क्योंकि भारत के फार्मा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी ने कहा, ‘बाजार में 1-1.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, लेकिन उसके तुरंत बाद स्थिरता आ जाएगी। हालांकि कई सेक्टर में इसका असर महसूस होगा। लेकिन जब तक आईटी और सेवा निर्यात अप्रभावित रहेंगे, व्यापक प्रभाव सीमित रह सकता है।’
अमेरिकी राष्ट्रपति की अतिरिक्त जुर्माने की धमकी यूक्रेन के साथ युद्धविराम समझौते के लिए रूस को 10 दिन की समय-सीमा की औपचारिक घोषणा के एक दिन बाद आई है। अमेरिका ने उन देशों पर सेकंडरी शुल्क लगाने की धमकी दी थी जो रूस से तेल आयात करते हैं।
भारत, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में शामिल होने वाले शुरुआती देशों में से एक था। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और प्रमुख निर्यात बाजार है।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि 25 प्रतिशत टैरिफ दर वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे प्रतिस्पर्धियों के लिए कम दरों की तुलना में नकारात्मक घटनाक्रम है, क्योंकि ये देश श्रम-प्रधान उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की समान श्रेणियों के साथ-साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के प्रवाह में भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
एफपीआई इस महीने भारत में शुद्ध बिकवाल रहे हैं जबकि अन्य उभरते बाजारों में उन्होंने खरीदारी पर जोर दिया।