भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि बाजार नियामक जल्द ही ‘शॉर्ट सेलिंग’ और प्रतिभूति उधारी (एसएलबी) ढांचे की व्यापक समीक्षा के लिए एक कार्यसमूह का गठन करेगा। ‘शॉर्ट सेलिंग’ शेयर बाजार में कारोबार की एक रणनीति है, जिसमें निवेशक किसी शेयर के दाम गिरने की आशंका में मुनाफा कमाने की कोशिश करता है।
वर्ष 2007 में शुरू की गई ‘शॉर्ट सेलिंग’ की रूपरेखा अपनी शुरुआत से ही लगभग अपरिवर्तित रही है। इसी तरह 2008 में शुरू की गई और उसके बाद से कई बार संशोधित की गई एलएलबी प्रणाली भी वैश्विक बाजारों के लिए अब भी पूरी तरह तैयार नहीं है, जिससे इसके गहन पुनर्मूल्यांकन की जरूरत महसूस हो रही है।
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‘सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट’ में पांडेय ने कहा, हम ‘शॉर्ट सेलिंग’ और एसएलबी ढांचे की व्यापक समीक्षा के लिए जल्द ही एक कार्यसमूह का गठन करेंगे। एसएलबी प्रणाली के तहत अपने डीमैट खातों में शेयर रखने वाले निवेशक या संस्थान शुल्क लेकर उन्हें अन्य बाजार प्रतिभागियों को उधार दे सकते हैं। यह लेनदेन शेयर बाजारों के मंच के माध्यम से निष्पादित किया जाता है। इसमें ‘क्लियरिंग कॉर्पोरेशन’ सुचारु एवं सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करने को लेकर गारंटी प्रदान करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि उधारकर्ता आमतौर पर इन प्रतिभूतियों का इस्तेमाल ‘शॉर्ट-सेलिंग’ के लिए या निपटान विफलताओं से बचने के लिए करते हैं। निवेशकों को निष्क्रिय शेयर पर अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम बनाकर एसएलबी ढांचा न केवल उधारदाताओं को लाभान्वित करता है बल्कि नगदी एवं समग्र बाजार दक्षता में भी सुधार करता है।
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पांडेय ने बताया कि स्टॉक ब्रोकर और म्युचुअल फंड नियमों की व्यापक समीक्षा पहले से ही जारी है। सेबी प्रमुख ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निकासी से जुड़ी चिंताओं पर भी बात की और इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक निवेशकों का भारत की वृद्धि की कहानी में अटूट विश्वास बना हुआ है। निकासी से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, एफपीआई को भारत की वृद्धि की कहानी में बहुत मजबूत विश्वास है।