वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के दौरान अब तक अपनी कमाई घोषित करने वाले निजी बैंकों की खुदरा ऋण वृद्धि सुस्त रही है। निजी क्षेत्र के शीर्ष 3 बैंकों सहित निजी क्षेत्र के 5 ऋणदाताओं ने खुदरा ऋण में एक अंक की वृद्धि दर्ज की है, जिसकी वजह से तिमाही के दौरान समग्र ऋण वृद्धि में गिरावट आई है। अब खुदरा ऋण में गति को बहाल करने के लिए बैंक आगामी त्योहारी सीजन, कम ब्याज दरों और आयकर छूट पर उम्मीदें टिकाए हुए हैं। भारत के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में में खुदरा ऋण में सालाना आधार पर 8.1 प्रतिशत वृद्धि और क्रमिक रूप से केवल 0.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। मॉर्गेज लोन सालाना आधार पर 7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अन्य खुदरा संपत्ति में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसकी वजह से बैंक के समग्र एडवांस में सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत और क्रमिक रूप से 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके पहले एचडीएफसी बैंक ने कहा था कि उसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 में बैंकिंग क्षेत्र की कुल ऋण वृद्धि के अनुरूप अपने लोन बुक का विस्तार करना है, और 2026-27 में ही बैंकिंग क्षेत्र की कुल ऋण वृद्धि से आगे निकलने का लक्ष्य रखा है। देश के दूसरे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक के खुदरा पोर्टफोलियो में सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें मॉर्गेज में 10.3 प्रतिशत, वाहन ऋण में 2.3 प्रतिशत, क्रेडिट कार्ड में 1.5 प्रतिशत और व्यक्तिगत ऋण में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। शेयरों के बदले ऋण में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई। बिजनेस बैंकिंग में लगभग 30 प्रतिशत सालाना वृद्धि हुई। इससे कुल मिलाकर ऋण वृद्धि 11.5 प्रतिशत रही है।
ऐक्सिस बैंक की रिटेल बुक सालाना आधार पर सिर्फ 6 प्रतिशत बढ़ी है। होम लोन पूर्ववत रहा है। वहीं व्यक्तिगत ऋण में 5 प्रतिशत, क्रेडिट कार्ड में 2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वाहन ऋण में 2 प्रतिशत की गिरावट आई।
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में येस बैंक के रिटेल एडवांस में 0.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई। आरबीएल बैंक के रिटेल बुक में सालाना आधार पर 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कुल मिलाकर ऋण में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारतीय रिजर्व बैंक के सेक्टरवार आंकड़ों के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में खुदरा ऋण की वृद्धि मई में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 19 प्रतिशत से अधिक थी । मुख्य रूप से अन्य व्यक्तिगत ऋण, वाहन ऋण और क्रेडिट कार्ड में कमी के कारण ऐसा हुआ है।
बैंक प्रबंधन अब आगामी त्योहारी सीजन और कम मुद्रास्फीति, कम ब्याज दरों और केंद्रीय बजट में कर राहत के कारण इच्छा के मुताबिक खर्च करने वाली बढ़ी आमदनी पर दांव लगा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे मांग बढ़ेगी और खुदरा ऋण बढ़ाया जा सकेगा।
बैंक के नतीजों की घोषणा के दौरान शनिवार को एचडीएफसी बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने कहा, ‘सकल घरेलू उत्पाद में खपत की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत है। इसलिए इसी अनुपात में आधे से अधिक ध्यान उपभोक्ता खंड पर होगा। खाद्य महंगाई दर अनुकूल बनी हुई है और समग्र महंगाई दर भी कम है, ऐसे में अगले कुछ हफ्तों में त्योहारी सीजन शुरू होने के साथ खुदरा क्षेत्र में अधिक मौके मिलने की उम्मीद है।’
रिजर्व बैंक ने फरवरी और जून के बीच नीतिगत रीपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की और सिस्टम में पर्याप्त नकदी बनाए रखी। रिजर्व बैंक ने सितंबर से चरणबद्ध तरीके से नकद आरक्षित अनुपात में 100 आधार अंक की कमी करने की घोषणा जून में की थी, जिससे बैंकों के पास ऋण देने के लिए 2.5 करोड़ रुपये अतिरिक्त आ जाएंगे।