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ताबड़तोड़ नए शेयर जोड़ रहे म्युचुअल फंड हाउस

कुल मिलाकर, इस उद्योग का अब 1,244 शेयरों में निवेश है, जो लगातार 5वें महीने नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

Last Updated- November 25, 2025 | 9:54 AM IST

निवेश भले ही धीमा हो गया है, लेकिन फंड हाउस अपने-अपने पोर्टफोलियो में नए शेयरों को पिछले एक साल की तुलना में ज्यादा तेजी से जोड़ रहे हैं। पिछले एक साल में म्युचुअल फंडों के विभिन्न परिसंपत्ति प्रबंधकों ने 164 नए शेयर जोड़े हैं। यह सालाना आधार पर 15.2 फीसदी की वृद्धि है, जो जुलाई 2024 के बाद से सबसे तेज है।

कुल मिलाकर, इस उद्योग का अब 1,244 शेयरों में निवेश है, जो लगातार 5वें महीने नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। जून 2017 के आंकड़ों के आईने में देखें तो यह संख्या सबसे ज्यादा है। तब उनका निवेश 746 शेयरों में था। यह ऐसे समय पर हो रहा है जब इक्विटी योजनाओं में निवेश की आवक अक्टूबर में घटकर 24,690 करोड़ रुपये रह गई जबकि जुलाई 2025 में यह 42,702 करोड़ रुपये के उच्चस्तर पर थी जो चालू कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक थी। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यूआर भट ने कहा, अच्छी प्रतिभूतियों की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि पिछले चक्रों में ज्यादा कंपनियां पूंजीगत व्यय के लिए इक्विटी जुटाती थीं जो वर्तमान परिवेश में उतनी प्रचुर नहीं है। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये बाजार में आने वाली कंपनियां स्टार्टअप और नई पीढ़ी की अन्य कंपनियां हैं जिनकी लाभप्रदता सीमित है और जिनका मूल्यांकन बहुत ऊंचा है।

भट के अनुसार भारी निवेश मिलने के कारण म्युचुअल फंड ऐसी कंपनियों में पूंजी लगाने को लगभग मजबूर हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति पैदा हो रही है कि खुदरा रकम वाले म्युचुअल फंड अनुभवी और सुविज्ञ निजी इक्विटी निवेशकों को निकासी का रास्ता दे रहे हैं।

प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार 2025 में 1.3 लाख करोड़ रुपये के आईपीओ आए हैं। इनमें से ज्यादातर (82,975.97 करोड़ रुपये) ऑफर-फॉर-सेल के रूप में आए हैं। इसका मतलब है कि जुटाई गई रकम कंपनी की कारोबारी गतिविधियों के वित्तपोषण के बजाय बाहर निकलने वाले शेयरधारकों के पास गई।

एनएसई के आंकड़ों के अनुसार पोर्टफोलियो संकेंद्रण के एक मापक हर्फिडाहल-हिर्शमैन इंडेक्स (एचएचआई) के आधार पर म्युचुअल फंड अपने समग्र पोर्टफोलियो के सापेक्ष जिन शेयरों में निवेश करते हैं, उनकी संकेंद्रण दर वास्तव में 2020 से कम हुई है। यह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तुलना में कम बनी हुई है।

नवंबर 2025 की एनएसई मार्केट पल्स रिपोर्ट में कहा गया है, संस्थागत श्रेणियों में डीएमएफ (घरेलू म्युचुअल फंड) का एचएचआई 145 तक गिर गया जो दिसंबर 2020 में महामारी के बाद के उच्चतम स्तर 189 से काफी नीचे है, जो पोर्टफोलियो के व्यापक विस्तार का संकेत देता है। संस्थागत समूहों में एफपीआई का 258 एचएचआई के साथ सबसे ज्यादा संकेंद्रण जारी रहा। यह क्रमिक आधार पर कम है लेकिन फिर भी घरेलू संस्थानों की तुलना में अपेक्षाकृत कम फोकस को दर्शाता है।

एनएसई के नवीनतम आंकड़े सितंबर के हैं। प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम से प्राप्त पोर्टफोलियो डिस्क्लोजर के आधार पर बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा गणना किए गए अतिरिक्त एचएचआई आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर में और गिरावट
आई है।

स्वतंत्र शोध संगठन प्राइमइन्वेस्टर डॉट इन की सह-संस्थापक विद्या बाला ने कहा कि अब म्युचुअल फंडों का बड़ी संख्या में शेयरों में निवेश इस तथ्य को भी दर्शाता है कि पिछले कुछ वर्षों में कई कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बाजार पूंजीकरण में वृद्धि का अर्थ यह है कि अब ज्यादा कंपनियां निवेश योग्य हैं जो महामारी से पहले या पिछले चक्रों की तुलना में ज्यादा है।

म्युचुअल फंडों को जोखिमों का पता है और यहां तक कि स्मॉल-कैप फंड भी लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश करते हैं जो अस्थिर अवधि के दौरान तरलता मुहैया करा सकते हैं। बाला के अनुसार म्युचुअल फंड कई संस्थाओं में निवेश कर सकते हैं, लेकिन छोटी कंपनियों में निवेश इस तरह से किया जाता है जो आमतौर पर तरलता जोखिमों को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ये निवेश बहुत छोटे हो सकते हैं।

First Published - November 25, 2025 | 9:54 AM IST

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