चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की 20वीं केंद्रीय समिति (सीसी) का चौथा पूर्ण अधिवेशन 23 से 25 अक्टूबर 2025 तक पेइचिंग में आयोजित किया गया। यह अधिवेशन कई मायनों में महत्त्वपूर्ण था क्योंकि इसमें ‘आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए 15वीं पंचवर्षीय योजना (एफवाईपी) 2026-2030 तैयार करने से संबंधित सिफारिशें स्वीकार कर ली गईं’। पूर्ण विवरण के साथ अंतिम योजना दस्तावेज अगले वर्ष सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन पूर्ण अधिवेशन की विज्ञप्ति में सिफारिशों का सारांश पेश किया गया है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसमें घरेलू राजनीति पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी और हाल में शीर्ष स्तरों पर अधिकारियों की बर्खास्तगी का भी, विशेष रूप से पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में, जिक्र है। इनके अलावा, चीन की सरकार द्वारा वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति का आकलन (इसके अंतर्निहित जोखिम और अवसर दोनों) का भी उल्लेख किया गया है।
विज्ञप्ति में घोषणा की गई है कि 14वीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिए गए हैं और एक अधिक महत्त्वाकांक्षी 15वीं पंचवर्षीय योजना की नींव रखी गई है जो ‘अतीत और भविष्य के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी’ के रूप में काम करेगी। वर्ष 2035 तक ‘समाजवादी आधुनिकीकरण’ का लक्ष्य हासिल करना अगला बड़ा लक्ष्य है। विज्ञप्ति के अनुसार तब तक प्रति व्यक्ति आय ‘मध्यम रूप से उन्नत देशों के स्तर’ तक पहुंच जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि चीन को ‘तेज हवाओं, उबड़-खाबड़ हालात और यहां तक कि खतरनाक तूफानों’ का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह ‘विकास के एक ऐसे चरण में बना हुआ है जहां जोखिमों और चुनौतियों के साथ रणनीतिक अवसर भी मौजूद हैं। दूसरी तरफ, अनिश्चितताएं और अप्रत्याशित हालात भी सिर उठा रहे हैं।’
इस जटिल वातावरण को ध्यान में रखते हुए नई योजना का मुख्य मकसद विकास और सुरक्षा उद्देश्यों को एक सूत्र में बांधना है। मुख्य लक्ष्य ‘उच्च स्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता और आत्म-सुदृढ़ीकरण’ हासिल करना है। जिन क्षेत्रों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा उनमें उच्च-स्तरीय सेमीकंडक्टर उद्योग विकसित करना, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) में अग्रणी बनना, उन्नत जैविक विज्ञान एवं जैव-तकनीक और अंतरिक्ष एवं एरोस्पेस का विस्तार करना शामिल है। इसके साथ ही, चीन यह भी सुनिश्चित करेगा कि ज्यादातर विकसित औद्योगिक देशों के उलट उसकी अर्थव्यवस्था में एक जीवंत विनिर्माण क्षेत्र का अहम योगदान रहे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘विनिर्माण का एक उचित अनुपात’ बरकरार रखा जाएगा।
15वीं एफवाईपी उपलब्ध संसाधनों के अधिकांश हिस्से को ‘उच्च गुणवत्ता वाली वृद्धि’ या उच्च तकनीक उद्योग के तेजी से विस्तार के लिए इस्तेमाल करने के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के निर्देश पर भी जोर देती है। इसका मतलब यह है कि खपत लगातार दबी रह सकती है। यह फिलहाल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 60 फीसदी है जो चीन जैसे आर्थिक विकास करने वाले देश के लिए असामान्य रूप से कम है। यही कारण है कि अधिकांश देश मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहे हैं जबकि चीन में कई वर्षों तक अपस्फीति की स्थिति रही है। फिलहाल ऐसे संकेत नहीं हैं कि चीन आपूर्ति-पक्ष से संबंधित नीतियों से अधिक मांग-संचालित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने के बारे में कोई बड़ा कदम उठाने जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी बनने के चीन के दोहरे लक्ष्य का मतलब है कि उपभोग या खपत बढ़ाने पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाएगा।
अगले 5 वर्षों के लिए योजना बनाते समय अर्थव्यवस्था को जिन प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है उनका उल्लेख भी इसमें किया गया है। स्थानीय सरकारों के ऊपर ऋण का मुद्दा एक गंभीर वित्तीय जोखिम है। इसमें बहीखातों पर ऋण एवं अन्य देनदारियां (बहीखाते से इतर) शामिल हैं। ये देनदारियां स्थानीय सरकारों के लिए विशेष वित्तीय योजनाओं (एलजीएफवी) के कारण उत्पन्न हुई हैं। एलजीएफवी की शुरुआत स्थानीय सरकारी निकायों द्वारा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित ऋण सीमाओं की शर्तों के दायरे से बाहर रहने के लिए की गई थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार स्थानीय निकायों के बहीखातों पर ऋण अब 7 लाख करोड़ डॉलर है, जबकि एलजीएफवी के मद में लगभग 8.4 लाख करोड़ डॉलर ऋण हैं। इन दोनों को मिलाकर ऋण सकल घरेलू उत्पाद के 88 फीसदी तक पहुंच जाते हैं, जबकि कुल अनुमानित ऋण- जीडीपी अनुपात 280 फीसदी है। केंद्र सरकार ने ज्यादा ब्याज वाले, कम समय के कर्ज को कम ब्याज वाले, लंबी परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड से बदलने के लिए बॉन्ड में नए सिरे से धन लगाने की घोषणा की है। इस योजना के लिए 840 अरब डॉलर के शुरुआती कोष की घोषणा की गई थी। नई योजना इन जोखिमों को कम करने के उपाय जारी रखेगी।
योजना में सख्त वित्तीय अनुशासन पर भी अधिक जोर दिया जा रहा है। स्थानीय सरकारों को बुनियादी ढांचे में निवेश को अधिक तवज्जो नहीं देने के लिए कहा जा रहा है वहीं ‘नई उत्पादक शक्तियों’ या उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश करने का निर्देश दिया जा रहा है। यह एक बड़ा कारण है कि सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में जरूरत से अधिक क्षमता या उत्पादकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस अतिरिक्त क्षमता की व्याख्या ‘इनवोल्यूशन’ के रूप में हो रही है जहां तीक्ष्ण घरेलू प्रतिस्पर्द्धा के कारण प्राइस वॉर और बाहरी बाजारों में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कशमकश तेज हो गई है। इन विरोधाभासी नीति उद्देश्यों के बीच सामंजस्य कैसे बनाया जाएगा यह देखने वाली बात होगी।
पूर्ण सत्र में एक और उल्लेखनीय बात कार्मिक स्तर पर अहम फेरबदल से जुड़ी रिपोर्ट है। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण फेरबदल पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में हुई। पीएलए में शीर्ष स्तरों पर 9 बर्खास्तगी की पुष्टि की गई है। उनमें सबसे अहम जनरल हे वेईदोंग हैं जो केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष थे। सीएमसी की अध्यक्षता स्वयं शी चिनफिंग करते हैं। एडमिरल मियाओ हुआ को भी बर्खास्त किया गया है जो सीएमसी के सदस्य हैं। हुआ सीएमसी के राजनीतिक कार्य विभाग के प्रमुख थे और उनके उप-प्रमुख हू होंगजुन को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बर्खास्त अन्य 7 वरिष्ठ अधिकारी हैं जिनमें पीएलए के राजनीतिक आयुक्त किन शटोंग और पीएलए नौ सेना के राजनीतिक आयुक्त युआन हुआझी शामिल हैं। चूंकि, ये सभी पद सशस्त्र बलों में राजनीतिक और वैचारिक कार्य से संबंधित हैं और पार्टी और उसके नेता के प्रति निष्ठा सुनिश्चित करते हैं, इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि चिनफिंग ने उन्हें वफादार नहीं माना। हालांकि, भ्रष्टाचार और ‘कर्तव्य से संबंधित अपराध’ को उनकी बर्खास्तगी के कारण बताए गए हैं।
यह सशस्त्र बलों के समाचार पत्र पीएलए डेली में टिप्पणियों से स्पष्ट होता है जिसमें बर्खास्त किए गए लोगों पर उस ‘राजनीतिक विचारधारा की नींव को गंभीर झटका देने’ का आरोप लगाया गया है जो सेना की एकता और प्रगति को बढ़ावा देती है। इससे भी बढ़कर उन्हें ‘उन सिद्धांतों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने’ का भी दोषी ठहराया गया है जिनमें इस बात का उल्लेख है कि पार्टी को सेना की कमान संभालनी चाहिए और सेना सीएमसी अध्यक्ष के प्रति जवाबदेह है’।
इन बातों से इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि शीर्ष लोगों की बर्खास्तगी के बाद पीएलए में स्वयं चिनफिंग द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारियों के बीच उनके (चिनफिंग) खिलाफ गंभीर विरोध हो सकता है। पिछले कई वर्षों में पीएलए स्वयं के संस्थागत मानदंडों के साथ एक अत्यधिक प्रशिक्षित पेशेवर सेना के रूप में स्थापित हुई है। राजनीतिक विचारधारा पर जोर से संभवतः एक असहज स्थिति पैदा हुई होगी। देश के बजाय एक नेता के प्रति व्यक्तिगत निष्ठा को अधिक महत्त्व देना एक पेशेवर सेना के खिलाफ जा सकता है। अगर चिनफिंग भविष्य में अपदस्थ होते हैं तो उसके तार पीएलए से जुड़े नजर आ सकते हैं। यहां तक कि माओत्से तुंग जैसे मजबूत नेता भी 1971 में पीएलए के शीर्ष अधिकारी मार्शल लिन बियाओ के निशाने पर आ गए थे। उल्लेखनीय है कि बियाओ को माओत्से तुंग ने ही अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। चीन फिलहाल भू-राजनीतिक रूप से सबसे मजबूत दिखाई देता है लेकिन घरेलू राजनीतिक झटके साफ नजर आ रहे हैं।
(लेखक पूर्व विदेश सचिव हैं)