प्रमुख वाहन विनिर्माता महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (M&M) साल 2030 तक सात इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर हाइब्रिड तकनीक की मांग आई तो कंपनी उस पर भी विचार करेगी।
कंपनी की चौथी तिमाही की आय के बाद महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी अनीश शाह (M&M CEO Anish Shah) ने कहा कि मांग के नजरिये से अगर हाइब्रिड की मांग आती है तो कंपनी इसके लिए तैयार रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘मांग के नजरिये से अगर यह कोई बड़ा कारण बनता है तो हम उसके लिए तैयार होंगे। हम हाइब्रिड को कुछ अलग इंजन वाले तेल-गैस चालित वाहन के विस्तार के रूप में देखते हैं। जिस हद तक जरूरी होगा, हम उसके लिए तैयार रहेंगे। इस समय हमें छोटे ईवी पर ध्यान केंद्रित करना अच्छा लग रहा है। हम हाइब्रिड तकनीक पर विचार कर रहे हैं।
वर्तमान में हाइब्रिड वाहनों पर 28% GST
खबर है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री से हाइब्रिड वाहनों पर जीएसटी (GST) घटाकर 12 प्रतिशत करने का आग्रह किया है। वर्तमान में भारत हाइब्रिड सहित तेल-गैस चालित वाहनों पर 28 प्रतिशत तथा ईवी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाता है। टोयोटा, मारुति सुजूकी और होंडा कार्स जैसी कंपनियों के पोर्टफोलियो में हाइब्रिड वाहन हैं।
हाल ही में टाटा मोटर्स (Tata Motors) के ग्रुप मुख्य वित्तीय अधिकारी पीबी बालाजी ने कहा था कि हाइब्रिड का उपयोग वास्तव में शून्य-कार्बन उत्सर्जन के बजाय कर छूट के रूप में अधिक किया जाता है।
बालाजी ने कहा था कि नीतिगत दृष्टिकोण से हाइब्रिड अस्थायी समाधान है और सरकारी प्रोत्साहन के मामले में यह ध्यान का मुख्य केंद्र नहीं होना चाहिए। शाह का भी मानना है कि हाइब्रिड के मामले में उत्सर्जन में कोई ‘वास्तविक बदलाव’ नहीं होता है।
शाह ने मीडियो को संबोधित करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘सरकारी प्रोत्साहन आम तौर पर उद्योग को ऐसे मुकाम पर परिवर्तन में सक्षम बनाने के लिए होते हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर हो। इलेक्ट्रिक वाहनों में कोई उत्सर्जन नहीं होता है, आपका ईंधन आयात बिल काफी कम होता है। उस लिहाज से सरकारें बदलाव को सक्षम बनाने के लिए ईवी को प्रोत्साहन दे रही हैं। समय के साथ-साथ प्रोत्साहन में कमी आती है क्योंकि कालांतर में हमें इसकी जरूरत नहीं रह जाती।’