उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल निकालने के लिए केंद्र सरकार पांच स्तरीय विकल्पों पर काम कर रही है। हालांकि पहाड़ी क्षेत्र की संवेदनशील भूगर्भीय स्थिति ने बचाव अभियान को मुश्किल बना दिया है।
नई दिल्ली में मंगलवार को वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक 6 इंच चौड़ी पाइप पहुंचाने में सफलता मिल गई है। इस पाइप से खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने तड़के श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा भेजा, जिससे उनके सकुशल होने का पहला वीडियो मिला।
उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे सुरंग में 41 श्रमिक फंस गए हैं।
ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसीएल आदि कंपनियां बचाव अभियान में सहयोग कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार 41 में 15 लोग झारखंड के रहने वाले हैं। इसके अलावा, आठ उत्तर प्रदेश, पांच-पांच ओडिशा और बिहार और शेष असम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से हैं।
क्षैतिज ‘ड्रिल’ ही दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प: अधिकारी
सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिल’ करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और केवल यही तरीका दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प होगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
टीवी चैनलों को सलाह
सरकार ने मंगलवार को निजी टेलीविजन चैनलों को परामर्श जारी कर कहा कि उन्हें सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के बचाव अभियान से जुड़ी खबरों को सनसनीखेज बनाने से बचना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को यह परामर्श जारी किया है। (साथ में भाषा)