भारत की शहरी बेरोजगारी दर में लगातार दूसरी तिमाही में कमी आई है। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह 6.6 प्रतिशत रह गई है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष 23 की जनवरी-मार्च तिमाही में 6.8 प्रतिशत थी। इससे श्रम बाजार में सतत सुधार का पता चलता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा सोमवार को जारी आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणाम के मुताबिक जून तिमाही के दौरान 15 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों की वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) के हिसाब से बेरोजगारी दर 4 साल में सबसे कम दर्ज की गई है, जबसे एनएसओ ने भारत का तिमाही शहरी बेरोजगारी दर दिसंबर 2018 से जारी करना शुरू किया है।
कोविड के दौरान वित्त वर्ष 22 की अप्रैल जून तिमाही में बेरोजगारी दर 12.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी, उसके बाद से शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर लगातार कम हो रही है।
पुरुषों और महिलाओं की बेरोजगारी दर क्रमशः 5.9 प्रतिशत और 9.1 प्रतिशत है, जो इसके पहले की तिमाही के 6 और 9.2 प्रतिशत की तुलना में कम है। ये आंकड़े वित्त वर्ष 22 की अप्रैल जून तिमाही से कम हो रहे हैं, जब यह क्रमशः 12.2 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत थी।
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) की कार्यकारी निदेशक सुचिता दत्ता ने कहा कि उद्योगों में वृद्धि और मांग, उपभोक्तावाद में अनुमानित वृद्धि वजह से वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में रोजगार की स्थिति सकारात्मक रही है।
उन्होंने कहा, ‘शहरी इलाकों में रोजगार प्राथमिक रूप से खुदरा, लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स के साथ आतिथ्य, बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्रों से प्रभावित हो रहा है। इन क्षेत्रों में वृद्धि हो रही है और तकनीकी सुधार के साथ बाजार की गणित बदल रही है। इससे तात्कालिक और दीर्घावधि रोजगार के हिसाब से इन क्षेत्रों में बेहतर स्थिति बन रही है।’
बहरहाल 15 से 29 साल के आयुवर्ग के युवाओं की बेरोजगारी की दर सुस्त रही है और यह जून तिमाही में 17.6 प्रतिशत रही, जो इसके पहले की तिमाही में 17.3 प्रतिशत थी। इस आयुवर्ग से जुड़े लोग सामान्यतया नौकरी के बाजार में पहली बार उतरते हैं और इसके आंकड़े तेजी के संकेतक होते हैं।
हाल के तिमाही सर्वे से यह भी पता चलता है कि श्रम बल हिस्सेदारी दर (एलएफपीआर), जिसमें शहरी इलाके में काम कर रहे लोग या काम की मांग कर रहे लोग शामिल होते हैं, में वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में मामूली वृद्धि हुई है और यह 48.8 प्रतिशत रहा है, जो वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में 48.5 प्रतिशत था।
महिलाओं में काम को लेकर ज्यादा उत्साह रहा है और उनका एलएफपीआर 0.5 प्रतिशत बढ़कर 23.2 प्रतिशत हो गया है, जो वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में 22.7 प्रतिशत था।