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एथनॉल योजना में आपूर्ति की बाधा

पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को 2025 तक 10.16 अरब लीटर एथनॉल की जरूरत होगी।

Last Updated- August 02, 2023 | 10:45 PM IST
ethanol production

पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के कार्यक्रम से आपसी लाभ के लिए भारत के किसान व उद्योग एक साथ आए, लेकिन अब सरकार की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। हालांकि सरकार को भरोसा है कि गन्ने और अनाज से बनने वाले एथनॉल सेग्मेंट में संभावनाओं और निवेश को देखते हुए मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना कठिन नहीं होगा।

लेकिन उद्योग से जुड़े कुछ लोग इसे लेकर आशंका जता रहे हैं।

अक्टूबर 2023 में खत्म होने जा रहे 2022-23 एथनॉल आपूर्ति वर्ष में देश ने पहले ही जुलाई की शुरुआत तक 11.75 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को 2025 तक 10.16 अरब लीटर एथनॉल की जरूरत होगी।

अनुमान से पता चलता है कि अगर रसायन उद्योग की मांग को ध्यान में रखा जाए तो जरूरत बढ़कर 13.5 अरब लीटर तक पहुंच सकती है।
इसमें से (मिलावट के मकसद से एथनॉल की जरूरत) करीब 6 अरब लीटर गन्ने से बनने वाले शीरे से मिलेगा।

एथनॉल क्षमता 2025 तक बढ़कर 10.16 अरब लीटर होने का अनुमान

वहीं शेष करीब 4.16 अरब लीटर एथनॉल अनाज पर आधारित स्रोत से आएगा, जिसमें बड़े पैमाने पर टूटे चावल, मक्के और चावल से तैयार किया जाता है और इसकी आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम सस्ती दर पर करता है।

नीति आयोग ने एथनॉल क्षमता 2025 तक बढ़कर 10.16 अरब लीटर होने का अनुमान लगाया है, जबकि अन्य जरूरत के लिए 3.34 अरब लीटर का अनुमान है।

जुलाई 2023 की शुरुआत (2022-23 एथनॉल आपूर्ति वर्ष, जो अक्टूबर 2023 में खत्म होगा) तक गन्ने और अनाज से तैयार होने वाले करीब 3.51 अरब लीटर एथनॉल की आपूर्ति की गई। करीब 2.85 अरब लीटर आपूर्ति यानी मोटे तौर पर 82 प्रतिशत आपूर्ति गन्ने से तैयार एथनॉल की हुई है। वहीं 0.66 अरब लीटर या 18 प्रतिशत अनाज से बना एथनॉल रहा।

2022-23 आपूर्ति वर्ष में गन्ने पर आधारित एथनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने 3.90 अरब लीटर आपूर्ति के लिए समझौता किया है। जुलाई की शुरुआत तक उन्होंने करीब 2.85 अरब लीटर की डिलिवरी कर दी है, जो उनके लक्ष्य का करीब 76 प्रतिशत है।

इसके विपरीत अनाज आधारित एथनॉल की आपूर्ति करने वालों ने 1.64 अरब लीटर आपूर्ति के लिए समझौता किया, जबकि इसका सिर्फ 40 प्रतिशत आपूर्ति की।

अभी यह देखना बाकी है कि अनाज से एथनॉल बनाने वाले अपने सौदे की बाध्यता कैसे पूरी करते हैं, क्योंकि एफसीआई से मिलने वाले सस्ते अनाज की आपूर्ति रोक दी गई है। इसकी जगह पर टूटे चावल या मक्के जैसे कच्चा माल खोजना चुनौतीपूर्ण है।

इसकी वजह से आपूर्ति करने वाली कंपनियां गन्ने से बनने वाले एथनॉल की दरों के मुताबिक भुगतान करने पर जोर दिया है, क्योंकि टूटे चावल और मक्के की कीमत बढ़ने के कारण उनके उत्पादन लागत में कमी आई है।

उद्योग का कहना है कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने अक्टूबर 23 में समाप्त होने वाले 2022-23 आपूर्ति वर्ष में गन्ने से उत्पादित एथनॉल की खरीद 65.61 रुपये प्रति लीटर के भाव की है। इस दर का निर्धारण मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति करती है।

इसके विपरीत इस दौरान भारतीय खाद्य निगम के चावल से तैयार किए गए एथनॉल की खरीदारी 2022-23 में 58.50 रुपये प्रति लीटर के भाव हुई है। मक्के के एथनॉल की खरीद 56.35 रुपये लीटर और टूटे अनाज के एथनॉल की खरीद 55.54 रुपये प्रति लीटर हुई है।
इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन ने मांग की है कि 2023-24 आपूर्ति वर्ष में शीरे से बने एथनॉल की कीमत बढ़ाकर 69.50 रुपये प्रति लीटर की जाए।

First Published - August 2, 2023 | 10:45 PM IST

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