facebookmetapixel
Adani Group लगाएगा उत्तर प्रदेश में न्यूक्लियर पावर प्लांट, राज्य में लेगेंगे आठ छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरShare Market: शेयर बाजार में जोरदार वापसी! 4 दिन की गिरावट के बाद सेंसेक्स–निफ्टी उछलेमहाराष्ट्र का अनार अमेरिका के लिए रवाना, JNPT बंदरगाह से पहला कंटेनर समुद्र मार्ग से भेजा गयाIPO 2025: रिकॉर्ड पैसा, लेकिन निवेशकों को मिला क्या?अमेरिका और यूरोप की नीति में बदलाव से एशियाई इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को झटका, EV कंपनियां मुश्किल में‘आम आदमी को उठाना पड़ सकता है बैंकिंग सिस्टम का नुकसान’, रॉबर्ट कियोसाकी ने लोगों को क्यों चेताया?पिरामल फाइनेंस श्रीराम लाइफ में 14.72% हिस्सेदारी Sanlam ग्रुप को बेचेगी, ₹600 करोड़ का सौदाEPFO का बड़ा फैसला: नौकरी बदलते समय वीकेंड और छुट्टियां अब सर्विस ब्रेक नहीं मानी जाएंगीइस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में लोगों की ये गलतियां पड़ीं भारी, रिफंड अटका और मिला नोटिसजापान की MUFG श्रीराम फाइनेंस में 20% खरीदेगी हिस्सेदारी, ₹39,618 करोड़ का निवेश

संपूर्ण बस बाजार श्रेणी में ई-बसों की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत से नीचे आई

ई-बस की पैठ में इस गिरावट के लिए बस बिक्री की संपूर्ण तेजी को जिम्मेदार माना जा सकता है। इस साल यह 62 प्रतिशत बढ़कर 77,445 बसों तक पहुंच गई। साल 2022 में यह संख्या 47,533 थी।

Last Updated- December 22, 2023 | 10:30 PM IST
Electric Bus Company PMI Electro

इले​क्ट्रिक वाहन (EV) उद्योग को इस साल बिक्री में तेजी नजर आ रही है, जो साल 2023 के पहले नौ महीने में ही 10 लाख का आंकड़ा पार कर चुका है। लेकिन सार्वजनिक परिवहन की बड़ी ई-मोबिलिटी की पैठ ईवी के मामले में पिछड़ गई है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ‘वाहन डैशबोर्ड’ के आंकड़ों के अनुसार संपूर्ण बस बाजार श्रेणी में ई-बसों की हिस्सेदारी साल 2022 की 4.1 प्रतिशत से घटकर साल 2023 में 10 दिसंबर तक 2.8 प्रतिशत रह गई।

उद्योग के विशेषज्ञ इस गिरावट का कारण मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) द्वारा बस आपूर्ति में देरी और समय पर खरीद करने में राज्य सरकार के प्रयासों की कमी को मानते हैं।

एनआरआई कंसल्टिंग ऐंड सॉल्यूशंस के विशेषज्ञ (केस और अल्टरनेट पावरट्रेंस) प्रीतेश सिंह ने कहा कि इस कम पैठ की मुख्य वजह ओईएम द्वारा बसों की डिलिवरी में देरी है। उनकी सीमित उत्पादन क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला की बार-बार की बाधाओं के कारण रुकावट पैदा होती है।

सरकारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि 5,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों के लिए केंद्र की मंजूरी के बावजूद खरीद प्रक्रिया सुस्त रही है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने अपनी महत्त्वाकांक्षी फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम-2) पहल के तहत 7,210 ई-बसों को मंजूरी दी है।

हालांकि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अब तक केवल 2,435 ई-बसें ही तैनात की गई हैं। इसके अलावा सीईएसएल द्वारा ड्राई-लीज आधार पर 4,675 ई-बसों के लिए जारी की गई निविदा भी ओईएम की ठंडी प्रतिक्रिया की वजह से रद्द कर दी गई थी।

पिछले वर्ष की तुलना में संपूर्ण बस बाजार श्रेणी में ई-बसों के अनुपात में कमी के बावजूद इस वर्ष बेची गई ई-बसों की कुल संख्या ज्यादा रही। साल 2023 में ई-बस बिक्री में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो पिछले कैलेंडर वर्ष के 1,988 बसों से बढ़कर 2,186 बस हो गई है।

ई-बस की पैठ में इस गिरावट के लिए बस बिक्री की संपूर्ण तेजी को जिम्मेदार माना जा सकता है। इस साल यह 62 प्रतिशत बढ़कर 77,445 बसों तक पहुंच गई। साल 2022 में यह संख्या 47,533 थी।

साल 2019 के बाद से देश में बेची गई कुल 2,88,046 बसों में से केवल 5,944 या 2 प्रतिशत बसें ही इलेक्ट्रिक थीं। ज्यादातर यानी लगभग 88 प्रतिशत बसें डीजल से चलने वाले थीं।

डीजल बसों में तेजी

सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को प्रोत्साहित करने के सरकार के ठोस प्रयासों के बावजूद डीजल जैसे प्रदूषणकारी ईंधन का इस्तेमाल करने वाली बसों की बिक्री में खासा इजाफा देखा गया है। पिछले साल की 40,193 की तुलना में इस साल डीजल बसों की बिक्री 67 प्रतिशत बढ़कर 67,227 हो गई।

First Published - December 22, 2023 | 10:20 PM IST

संबंधित पोस्ट