इक्विटी बाजार व्यापक स्तर पर संवत 2079 में पिछले नौ वर्षों में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज करने जा रहा है। एसऐंडपी बीएसई मिडकैप और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक क्रमश: 31 फीसदी व 34 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज कर चुका है।
कोविड के बाद उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन संवत 2077 में देखने को मिला था जब मिडकैप व स्मॉलकैप सूचकांकों में क्रमश: 62 फीसदी व 82 फीसदी की उछाल आई थी। इससे पहले संवत 2070 में इन सूचकांकों ने 50-50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की थी।
मिडकैप व स्मॉलकैप सूचकांक के 1,050 शेयरों में से करीब आधे यानी 497 शेयरों ने संवत 2079 के दौरान सभी बेंचमार्क सूचकांकों से उम्दा प्रदर्शन किया और इस दौरान इनमें 35 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। 176 कंपनियों के शेयरों की कीमतें साल के दौरान दोगुनी से भी ज्यादा हो गईं।
विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो रियल्टी (52 फीसदी) में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई। इसके बाद कैपिटल गुड्स (50 फीसदी), ऑटो (27 फीसदी), धातु (24 फीसदी) और स्वास्थ्य सेवा (23 फीसदी) का स्थान रहा। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय, उपभोक्ता सामान और तेल व गैस क्षेत्रों ने 10 फीसदी से भी कम प्रदर्शन के साथ बाजार के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया।
इस बीच, संस्थागत निवेशकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और म्युचुअल फंडों ने संवत 2079 के दौरान भारतीय इक्विटी में संयुक्त रूप से करीब 2.84 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया।
मजबूती की उम्मीद
संवत 2080 में ज्यादातर विश्लेषकों का भारतीय इक्विटी बाजार को लेकर तेजी का नजरिया है जबकि कई अवरोध मसलन उच्च ब्याज दर, बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमतों में उतारचढ़ाव और पश्चिम एशिया का संकट सामने है। उनका मानना है कि ये चीजें बाजारों को अस्थिर रख सकती है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत चमकता हुआ सितारा बना हुआ है और उम्मीद है कि वह अपना उम्दा प्रदर्शन बरकरार रखेगा। निफ्टी 12 महीने आगे के पीई 17.6 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो 10 साल के औसत से 13 फीसदी कम है। ऐसे में यह सहजता प्रदान कर रहा है।
ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि अगली कुछ तिमाहियों में कुल मिलाकर बाजारों का तेजी के साथ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाना अहम संकेतक हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि पोर्टफोलियो के उम्दा प्रदर्शन के लिहाज से शेयर चयन में मूल्यांकन अहम कारक रहेगा।
मुख्य जोखिम
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों के मुताबिक, किसी भी तरह के भूराजनीतिक संकट में इजाफे की स्थिति में एक अहम जोखिम कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी है।
एशियाई क्षेत्र में भारत कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का बड़ा असर झेलने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है क्योंकि तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से महंगाई 50 आधार अंक बढ़ सकती है। उनका कहना है कि जोखिम तब होगा जब अगर तेल की कीमतें धीरे-धीरे बढ़कर 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली जाएं।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने हाल में अपने मुख्य एशियाई अर्थशास्त्री चेतन आह्या के लिखे नोट में कहा है कि ऐसी परिस्थिति में राजकोषीय सब्सिडी जैसे कुछ कदम होंगे, लेकिन देसी ईंधन की कीमतों पर भार बढ़ेगा। चूंकि खुदरा ईंधन की कीमतों में समायोजन किया जाता है, ऐसे में महंगाई में बढ़ोतरी का दबाव होगा।
विश्लेषकों के मुताबिक, बाजार को अस्थिर करने वाला अन्य जोखिम भारत में होने वाला आम चुनाव है जो अप्रैल-मई 2024 में होने हैं।
विपक्षी गठबंधन के कदम (जो जोर पकड़ता नजर आ रहा है) राजनीतिक और मौजूदा सरकार की तरफ से नीतिगत निरंतरता को लेकर बाजार की चिंता बढ़ाएंगे। बाजार हालांकि चुनाव के बाद स्थिर सरकार और उसकी नीतियों में निरंतरता चाहेगा।