facebookmetapixel
जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए वेदांत और अदाणी की पेशकश पर मतदान करेंगे लेनदारStock Market: मजबूत वैश्विक रुख से भारतीय बाजार में तेजी, सेंसेक्स 76 अंक उछलाMSCI EM इंडेक्स में भारत का वेटेज घटा, 2 साल के निचले स्तर पर आयाIVF कंपनियां AI से घटाएंगी इलाज की लागत, भ्रूण और शुक्राणु चयन में सटीकता से सफलता दर होगी अधिकजुलाई में भारत का कपड़ा निर्यात 9% बढ़ा, अमेरिका के ब्रांड छूट पर ऑर्डर बरकरार रखने को हुए तैयारनवीन जिंदल बोले: सितंबर तक कमजोर रहेगी इस्पात की मांग, मगर अक्टूबर से दिखेगा तेज उछालट्रंप के टैरिफ झटकों ने भारत को दूसरी पीढ़ी के सुधारों की ओर धकेलाभारत के मास मार्केट संभावनाओं को खोलने के लिए जरूरी है रचनात्मक नीतिगत पहलEditorial: सरकार ने जीएसटी सुधार और रणनीतिक विनिवेश को दिया नया जोरEPAM Systems के नए CEO बोले: कंपनी लगा रही AI पर बड़ा दांव, ग्राहकों की जरूरतों पर रहेगा फोकस

पूंजीगत वस्तु सेक्टर की 15 कंपनियों को 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के रिकॉर्ड आर्डर

मूल्य के लिहाज से सितंबर 2023 तक इन कंपनियों की कुल ऑर्डर बुक 8 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गई थी।

Last Updated- November 26, 2023 | 9:15 PM IST
Post office time deposit scheme

देश की शीर्ष पूंजीगत वस्तु और अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) कंपनियों में से कुछ के लिए अभी बहुत व्यस्तता भरा दौर चल रहा है।

मूल्य के लिहाज से सितंबर 2023 तक इन कंपनियों की कुल ऑर्डर बुक 8 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गई थी। इस क्षेत्र की शीर्ष 15 सूचीबद्ध कंपनियों की कुल ऑर्डरबुक पिछले 5 वित्त वर्षों में इस बार सबसे अधिक है।

पूंजीगत वस्तु और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में देश की शीर्ष 15 कंपनियों में से जिन 12 का पूरे 5 साल का ब्योरा उपबल्ध है, उनके पास सितंबर, 2023 में 8.25 लाख करोड़ रुपये के ठेके थे। कंपनियों से मिले आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2019 के बाद से इतनी भारी ऑर्डरबुक नहीं देखी गई है।

ठेकों में उछाल निर्माण तथा बुनियादी ढांचे के लिए देश में बढ़ती मांग के कारण भी आई है। इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार खास तौर पर ऊर्जा से जुड़े बाजारों से बड़े ठेके आने का फायदा भी मिला है। उद्योग के अधिकारी और विश्लेषक स्वीकार करते हैं कि श्रम और कार्यशील पूंजी समेत संसाधनों का प्रबंधन, जिंस के चक्रों को संभालना और ठेकों की वृद्धि दर बनाए रखना बड़ी चुनौतियां होंगी।

टाटा प्रोजेक्ट्स में मुख्य रणनीति और वृद्धि अधिकारी हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि पिछले कई साल से धीमा पड़ा निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय और निवेश उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी सरकारी पहलों, कंपनियों की बैलेंस शीट में कर्ज घटने, मुनाफा बेहतर होने और बैंकों में बढ़िया पूंजी होने के कारण धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मार्च 2023 में कंपनी के पास 48,000 करोड़ रुपये के ठेके थे, जो पूरे किए जाने थे।

उद्योग की अगुआ लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) को देसी बाजार में बुनियादी ढांचे क्षेत्र की परियोजनाओं के साथ ही विदेशी हाइड्रोकार्बन बाजारों से भी बड़े ऑर्डर मिले हैं। इससे कंपनी की ऑर्डर बुक 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो आज से पहले कभी नहीं हुआ था। एलऐंडटी के साथ ही अशोक बिल्डकॉन और थर्मेक्स ग्लोबल की ऑर्डरबुक भी सर्वोच्च स्तर पर है।

भारी-भरकम ऑर्डरबुक उद्योग के लिए अच्छी है मगर इससे कुछ चुनौतियां भी आएंगी। इस महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में एलऐंडटी के मुख्य वित्तीय अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक आर शंकर रमन ने स्वीकार किया था, ‘निश्चित रूप से संसाधनों का प्रबंधन हमारे लिए चुनौती होगी।’

इसी तरह की चिंता दूर करने के लिए कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल जैसी कंपनियां संसाधन बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं।

कल्पतरु प्रोजेक्ट्स के निदेशक अमित उपलेंचवार ने कहा, ‘हम ठेकों की वजह से बढ़ने जा रही श्रमिकों तथा कर्मचारियों की मांग पूरी करने के लिए कॉलेज परिसरों में जा रहे हैं और श्रमिकों को कुशल बना रहे हैं। ठेकों और ऑर्डर में इजाफे के हिसाब से उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने अपने कुछ कारखानों में नई असेंबली लाइन भी जोड़ी हैं।’ सितंबर तक कंपनी के पास 47,040 करोड़ रुपये के ठेके थे।

उपलेंचवार ने कहा कि ऑर्डरबुक बढ़ने के पीछे बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के साथ कई अन्य कारण हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे ठेकेदारों की मांग भी बढ़ी है, जो जरूरी कर्ज के साथ बड़े पैमाने की रियल्टी परियोजनाएं पूरी कर सकें।’

जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स जैसी कुछ कंपनियों को लगता है कि आगामी चुनाव वृद्धि की रफ्तार धीमी कर सकते हैं। जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स इस क्षेत्र की शीर्ष 15 सूचीबद्ध कंपनियों में आती है और उसके पास 20,000 करोड़ रुपये के ठेके हैं।

विश्लेषकों के साथ हालिया बातचीत में कंपनी के प्रबंधन ने कहा कि पहले जितना अनुमान लगाया गया था, अब उसके आधे ठेके ही मिलने की संभावना है।

मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कंपनी पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘छोटी परियोजनाओं में होड़ बहुत अधिक होने तथा आगामी लोकसभा चुनाव के कारण ठेके मिलने की गति धीमी पड़ने का अनुमान लगाते हुए कंपनी प्रबंधन ने वित्त वर्ष 2024 में महज 10,000 करोड़ रुपये के ठेके मिलने का अनुमान लगाया है।’

हालांकि सभी कंपनियों के साथ ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए दिलीप बिल्डकॉन ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी ऑर्डरबुक का अनुमान बढ़ा दिया है।

First Published - November 26, 2023 | 9:11 PM IST

संबंधित पोस्ट