वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन के रियल एस्टेट क्षेत्र का महत्त्व किसी से छुपा नहीं है। वित्तीय दृष्टिकोण से इसकी विवेचना करें तो कई अनुमानों के अनुसार यह दुनिया की सबसे बड़ी परिसंपत्ति श्रेणी मानी जाती है।
चीन के रियल एस्टेट क्षेत्र का आकार 60 लाख करोड़ डॉलर से अधिक बताया जा रहा है। बाजार में उतार-चढ़ाव से वैश्विक स्तर पर इस्पात से लेकर सीमेंट तक सभी जिंसों के मूल्य प्रभावित होते हैं।
चीन का रियल एस्टेट क्षेत्र वहां की स्थानीय सरकारों के लिए वित्त का भी एक स्रोत है। इस प्रकार, चीन की संपूर्ण अर्थव्यवस्था में भी यह महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। पिछले वर्ष जब चीन में जायदाद क्षेत्र की बड़ी कंपनी एवरग्रांड ऋण चुकाने में विफल रही तो प्रेक्षकों को लगा कि वहां का रियल एस्टेट बाजार संकट का सामना कर रहा है। तब से कंपनी कई अवसरों पर ऋण अदायगी में विफल रही है और अब स्थिति ऋण पुनर्गठन तक पहुंच गई है।
एवरग्रांड ने कुछ दिन पहले ही अमेरिका में अध्याय (चैप्टर) 15 के अंतर्गत सुरक्षा के लिए आवेदन भी दिया है। एवरग्रांड को टक्कर देने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में एक कंट्री गार्डन भी ऋण लौटाने में स्वयं को अक्षम पा रही है। हालांकि, एवरग्रांड की तुलना में इस पर ऋण बोझ कम है और देनदारियों की तुलना में इसके पास अधिक परिसंपत्तियां हैं। इस पर विचार करते हुए यह कहा जा सकता है कि किसी भी तरह के नुकसान की आशंका से बचने के लिए कंट्री गार्डन त्वरित उपाय कर सकती है।
चीन का रियल एस्टेट क्षेत्र वहां की अर्थव्यवस्था एवं राज्यों के लिए राजस्व एवं वृद्धि का एक शक्तिशाली स्रोत रहा है। रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने से जुड़ा नियंत्रण वहां की स्थानीय सरकारों के पास रहता है। यह संभव है कि वहां भूमि पर स्थानीय सरकारों के नियंत्रण से पिछले कई दशकों से मकानों की बढ़ती कीमतों को और समर्थन मिला है। मगर रियल एस्टेट बाजारों का ठंडा पड़ना जरूर चकराने वाला है लेकिन यह लगभग स्पष्ट है कि शी चिनफिंग सरकार ने इस संकट को बढ़ने से नहीं रोका है।
चीन में वर्तमान सरकार अर्थव्यवस्था की तुलना में अपनी विचारधारा को लेकर अधिक सजग मानी जाती है। सरकार 2020 में रियल एस्टेट क्षेत्र के बड़े उद्योगपतियों की राजनीतिक एवं आर्थिक शक्तियां कम करने का प्रयास कर चुकी है। सरकार ने इनके लिए ऋण की उपलब्धता सुगम नहीं रहने दी थी। इससे एवरग्रांड को मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अब कंट्री गार्डन भी कठिनाइयों का सामना कर रही है। मगर बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों तक पूंजी की पहुंच सीमित करने से रियल एस्टेट संकट के प्रभावों को नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकती है।
अर्थशास्त्री इस बात पर पूरी तरह एकमत हैं कि वर्तमान स्थिति वह स्वरूप धारण नहीं करेगी, जो 2008 में अमेरिका में आवासीय क्षेत्र में संकट के बाद दिखी थी। चीन में औपचारिक बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र का अब रियल एस्टेट क्षेत्र में उतना निवेश नहीं है जितना पहले था या पश्चिमी देशों में 2008 में किया गया था।
चीन की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है और इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि झोंगझी जैसे कुछ बड़े संस्थान निवेशकों को भुगतान करने में विफल रह सकते हैं। यह नकदी की कमी का शुरुआती संकेत हो सकता है।
अगर यह पूर्ण वित्तीय संकट का रूप धारण नहीं करता है तब भी चीन के लिए वर्तमान समय चिंता का विषय अवश्य है। कोविड महामारी से निपटने के लिए चीन ने बड़े कदम उठाए थे मगर पिछले वर्ष वहां की सरकार ने शून्य कोविड नीति खत्म कर कम से कम तैयारी के साथ अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से खोल दी थी।
हालांकि, इसके बावजूद चीन की आर्थिक वृद्धि दर उत्साहजनक नहीं रही है। कई विश्लेषकों ने चीन की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5 प्रतिशत से नीचे कर दिया है। सरकार ने 5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। बड़ी कंपनियों के प्रति सरकार के सख्त रवैये के बीच सरकार आधारित निवेश पर अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम कर इसे निजी क्षेत्र आधारित उपभोग की तरफ मोड़ने का चीन की सरकार का प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे रहा है।
पूर्व में चीन ने अपना खजाना खोलकर संकट से पार पा लिया था मगर इस बार वृद्धि दर कमजोर हो गई है और इससे निपटने के लिए सरकार अगर व्यय बढ़ाती है तो इसे आर्थिक तंत्र से जुड़े जोखिम (बड़े एवं नुकसान में चलने वाले निवेश) और बढ़ सकते हैं। चीन में वर्तमान संकट कोई बड़ा स्वरूप भले ही धारण नहीं करे मगर इसके बादल तत्काल छंटते तो नजर नहीं आ रहे हैं।