भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों के सांसदों के साथ अपनी बैठकों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया है कि राज्यसभा सदस्यों को कम से कम एक चुनाव लड़ना चाहिए भले ही वह नगर निकाय का चुनाव ही क्यों न हो।
पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री ने देश भर में राजग सांसदों से समूहों में मुलाकात की है और उनसे कहा है कि वे अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करें।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी अपने 92 राज्यसभा सदस्यों में से कम से कम एक दर्जन को 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कह सकती है, खासतौर पर उन्हें जो एक से अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
राज्यसभा में भाजपा के 18 सांसद हैं जिनका एक से अधिक कार्यकाल रहा है। एक से अधिक कार्यकाल वाले राज्यसभा सदस्यों की सूची में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, पीयूष गोयल, मनसुख मांडविया, पुरुषोत्तम रूपाला, राजीव चंद्रशेखर और हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं। वर्ष 2019 में राज्यसभा के लिए विदेश मंत्री, एस जयशंकर का निर्वाचन हुआ था और जुलाई में फिर दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुना गया।
भाजपा के 92 राज्यसभा सदस्यों में से 28 का कार्यकाल अप्रैल 2024 में हो जाएगा खत्म
पुरी 2019 में राज्यसभा सदस्य थे जब उन्होंने अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे। राज्यसभा में उनके सहयोगियों रविशंकर प्रसाद और स्मृति इरानी ने बेहतर प्रदर्शन किया। वर्ष 2014 में राज्यसभा सदस्य अरुण जेटली ने अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। भाजपा के 92 राज्यसभा सदस्यों में से 28 का कार्यकाल अप्रैल 2024 में खत्म हो रहा है।
अगर वर्ष 2024 में भी भाजपा, 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में अपनाए गए अलिखित दिशानिर्देशों को लागू करती है तब मथुरा से दो बार की सांसद रही हेमामालिनी और बरेली से आठ बार के सांसद संतोष गंगवार सहित कम से कम एक दर्जन मौजूदा लोकसभा सदस्यों को पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा।
भाजपा के एक दर्जन से अधिक सदस्य 75 वर्ष की उम्र सीमा को छू लेंगे
हेमा मालिनी इस अक्टूबर में 75 वर्ष की हो जाएंगी और वर्ष 2024 के दौरान भाजपा के एक दर्जन से अधिक सदस्य उस उम्र सीमा को छू लेंगे। वर्ष 2019 में भाजपा के 75 से अधिक उम्र वाले सांसदों को सेवानिवृत्ति दे दी गई थी जिनमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, भुवन चंद्र खंडूड़ी, करिया मुंडा, कलराज मिश्र, विजय चक्रवर्ती और शांता कुमार शामिल हैं।
वर्ष 2019 की तरह भाजपा नेतृत्व अपने सांसदों के सामने आने वाली सत्ता विरोधी लहर की चुनौतियों की आशंका कर रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के सांसदों की संख्या 268 थी। इनमें से 99 या 36 प्रतिशत की कमी आई है।