नरेंद्र मोदी सरकार ने आज एक बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त खाद्य वितरण का फैसला किया। इसके तहत राशन की दुकानों के माध्यम से करीब 81 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न दिया जाएगा। सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का इसमें विलय करते हुए उस योजना के तहत मिल रहे 5 किलो अतिरिक्त अनाज की व्यवस्था खत्म कर दी है।
अभी तक, राशन कार्ड लाभार्थी प्रतिमाह 5 किलो अनाज लेते थे। हालांकि, उन्हें चावल के लिए 3 रुपये प्रति किलो और गेहूं के लिए 2 रुपये किलो का भुगतान करना होता था। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1 रुपये किलो की दर पर मोटा अनाज देने का प्रावधान है। इसके अलावा, कोविड के समय करीब 81 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त 5 किलो अनाज मुफ्त में दिया जाता था।
मंत्रिमंडल के फैसले के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाला राशन पूरी तरह से मुफ्त हो गया जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को दिसंबर के आगे बाद नहीं बढ़ाया गया है।
पीएमजीकेएवाई समाप्त करने और अंत्योदय अन्न योजना के लिए भी पीडीएस निःशुल्क बनाने से केंद्रीय भंडार में गेहूं की खासी बचत होगी। पिछले 6 वर्षों में केंद्रीय भंडार काफी कम हो गया था। हालांकि इससे सरकारी खजाने पर बोझ जरूर बढ़ जाएगा।
खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार इर फैसले से सरकारी खजाने पर 2,00,000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। इस निर्णय के बाद लाभार्थियों को निःशुल्क राशन मिलेगा मगर उन्हें अतिरिक्त खाद्यान्न नहीं मिलेगा क्योंकि पीएमजीकेएवाई का अब विलय कर दिया गया है।
इस बीच, वित्त वर्ष 2023 के बजट में केंद्र ने 206,831 करोड़ रुपये का आवंटन खाद्यान्न पर सब्सिडी के लिए किया था। लेकिन इसके बढ़ने की आशंका है। इस योजना को अप्रैल 2022 में पहला विस्तार(कुल 6 विस्तार) दिए जाने के बाद सब्सिडी 85,838 करोड़ रुपये बढ़ गई। अब आज के कदम से इसमें 44,762 करोड़ रुपये का और इजाफा हो गया है। इस तरह पूरे वित्त वर्ष में खाद्यान्न सब्सिडी पर अनुमानित खर्च 3.38 लाख करोड़ रुपये के करीब होने का अनुमान है। लेकिन, राहत की एक बात हो सकती है। वह यह है कि इस साल गेहूं खरीद में भारी कमी के कारण खरीद और भंडारण लागत में सरकार को बचत हो सकती है।