बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट (BS BFSI Summit) के दूसरे दिन मंगलवार को जीवन बीमा कंपनियों के कार्याधिकारियों ने कहा कि जीवन बीमा देश का उभरता क्षेत्र हैं। उनका कहना था कि कम पहुंच, बड़ी सुरक्षा और पेंशन अंतर तथा अगले दशक तक बड़े पैमाने पर वृद्धि के कारण जीवन बीमा क्षेत्र उभरता हुआ क्षेत्र बना हुआ है।
उद्योग नियामक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के साल 2047 यानी आजादी के 100वें साल कर देश में 100 फीसदी बीमा कवरेज हासिल करने के लक्ष्य के साथ इसने जीवन बीमा उद्योग को आने वाले दशक में तेजी से रफ्तार भरने के रास्ते पर ला दिया है।
बीएस-बीएफएसआई लाइफ इंश्योरेंस सीईओ पैनल में चर्चा के दौरान भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के प्रबंध निदेशक आर दोरईस्वामी ने कहा, ‘उद्योग साल 2047 तक सभी को बीमा प्रदान करने के आईआरडीएआई के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयार है।”
कोटक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक महेश बालसुब्रमण्यन ने कहा, ‘बैंकिंग या म्यूच्युअल फंड जैसे अन्य बीएफएसआई उत्पादों की तुलना में जीवन बीमा देश में एक बेहद कम लोकप्रिय उत्पादों में से एक है। भारत में सुरक्षा का अंतर बहुत अधिक 83 फीसदी के करीब है और जीवन की सुरक्षा के अंतर्गत करीब 16.5 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है।”
उन्होंने कहा, “इसी तरह, फिलहाल भारत के केवल कुछ ही लोगों के पास पेंशन कवर है और साल 2050 के अंत तक कुल पेंशन अंतर लगभग 55 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। ये आने वाले दशक में हमारे लिए वृद्धि के बड़े रास्ते खोलेगा।’
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी नवीन टहिल्यानी ने कहा, ‘भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिए बीमा राशि दुनिया भर में सबसे कम 25 फीसदी है जबकि अधिकतर देशों में यह 100 फीसदी से अधिक है। अब जब हमारे पास विनियामक अनुकूल परिस्थिति है और नियामक भी हमें तेजी से बढ़ने और पैठ बढ़ाने के लिए जोर दे रहा है तो जीवन बीमा उद्योग तेजी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है।’
उन्होंने कहा कि यह पूंजी अंतर ही अगले 10 से 15 वर्षों में जीवन बीमा उद्योग में उपलब्ध वृद्धि के अवसर को दर्शाता है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अनूप बागची का कहना है कि भारतीय जीवन बीमा उद्योग एक अच्छे स्थान पर है क्योंकि यह बिना किसी उत्पाद विकल्प के प्रमुख सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
अनूप कहते हैं, ‘उद्योग कुछ प्रमुख सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करता है जो जीवन सुरक्षा और कर्ज सुरक्षा हैं। फिर हम व्यक्तियों और उनके परिवारों को निवेश और सेवानिवृत्ति जोखिम भी प्रदान करते हैं। फिलहाल किसी अन्य उद्योग में कोई ऐसे उत्पाद नहीं है। जैसे-जैसे देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है जीवन बीमा उत्पादों और हमारे द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता और भी अधिक स्पष्ट हो जाएगी।’
एचडीएफसी लाइफ की मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक विभा पडलकर का कहना है कि जीवन बीमा उद्योग को खासकर ग्रामीण इलाकों और महिलाओं के बीच पैठ बढ़ाने पर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल गांवों में जीवन बीमा की पहुंच लगभग 5 फीसदी है, जो शहरी भारत की तुलना में छठा हिस्सा है। शहरी इलाकों में पहुंच लगभग 30 फीसदी है। इसी तरह पुरुषों के मामले में 18 फीसदी कवरेज के मुकाबले केवल 9 फीसदी महिलाएं ही कवर की गई हैं। यह उद्योग के लिए एक बड़े विकास अवसर को दिखाता करता है।’
कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी इस बात से भी सहमत हैं कि सामूहिक रूप से समूचा उद्योग विकास के इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
विभा ने कहा, ‘हम देश भर में फैले 27 लाख एजेंटों और 11,000 से अधिक शाखाओं के साथ एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र या जिला नहीं है जहां उद्योग इस समय सामूहिक रूप से मौजूद नहीं है।’