मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव (Maruti Suzuki Chairman) ने मंगलवार को कहा कि भारत में वाहन कंपनियों के लिए डीजल से चलने वाले वाहनों का उत्पादन पूरी तरह से बंद करना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियों के पास अब वैकल्पिक प्रौद्योगिकी मौजूद है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 12 सितंबर को कहा था कि वाहन उद्योगों को अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले डीजल वाहनों का उत्पादन कम करना चाहिए, नहीं तो सरकार अतिरिक्त 10 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का विचार कर सकती है। इसके बाद वाहन कंपनियों के शेयरों में तेजी से गिरावट आई। इसके करीब एक घंटे बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार के पास अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, ह्युंडै, टाटा मोटर्स, टोयोटा किर्लोस्कर और किया अभी डीजल कार बाजार की प्रमुख कंपनियां हैं। मारुति ने साल 2019-20 में ही डीजल से चलने वाली कारों का उत्पादन बंद कर दिया था।
भार्गव ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के एक सम्मेलन में कहा, ‘सरकार यह नहीं कह रही है कि डीजल कारों का उत्पादन नहीं करो। सरकार का कहना है कि हमें अपने कार्बन तटस्थता मानदंडों को हासिल करना होगा। देश में कैफे (कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता/अर्थव्यवस्था) मानदंड लागू किए जा रहे हैं।’
कैफे मानदंड के तहत सरकार ने पूरी कार कंपनी के बेड़े पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया है। भार्गव के अनुसार, जैसे-जैसे ये मानदंड चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे डीजल से चलने वाली कारों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने लगेगी।
उन्होंने कहा, मारुति और कई अन्य कंपनियों ने लागत कारक के कारण डीजल कारों का उत्पादन बंद कर दिया। अगर आप कार्बन तटस्थता से संबंधित मानदंडों का पालन करना चाहते हैं तो आप उस कीमत पर कार नहीं बेच पाएंगे, जिसे कोई भी खरीदेगा।