पिछले कई दशकों के दौरान अपर्याप्त बारिश से खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई दर की तुलना में हाल के वर्षों में इसकी चोट कम रही है।
डीएसपी ऐसेट मैनेजर्स जुलाई, 2023 की नेत्र रिपोर्ट के अनुसार 1960 और 1970 के दशकों के दौरान जब भीषण सूखा पड़ा था तब खाद्य महंगाई दो अंकों में पहुंच गई थी। मगर शताब्दी के बाद के वर्षों में कम बारिश के दौरान महंगाई मोटे तौर पर एक अंक तक ही सीमित रही।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार वर्षा दीर्घ अवधि के औसत का 96 प्रतिशत तक रह सकती है। मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमैट के अनुसार वर्षा दीर्घ अवधि के औसत का 94 प्रतिशत के स्तर पर रह सकती है।
बारिश कम रहने से पूर्व के दशकों में खाद्य वस्तुओं में तेजी दर्ज हुई थी। 1965-66 और 1966-67 के दौरान महंगाई दर बढ़कर 10-14 प्रतिशत तक हो गई थी।
वर्ष 2015-16 में यह 6.2 प्रतिशत और 2014-15 में 4.3 प्रतिशत बढ़ गई थी। 2009-10 में इसमें 18.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। मगर यह 2004-05 और 2002-03 के दौरान 5 प्रतिशत के नीचे रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व के दशकों की तुलना में महंगाई से निपटने के तौर-तरीके बदलने से अब असर कम रह सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी, भारत में आर्थिक हालात से जुड़े मसलों और कमजोर मुद्रा सहित अन्य कारणों से भी पहले महंगाई दर में बड़ा इजाफा हुआ था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब बेहतर ढांचा उपलब्ध होने से अल- नीनो के प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद महंगाई से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था। इसमें कहा गया है, अल-नीनो के कारण मॉनसून कमजोर रहने की स्थिति में महंगाई दर में बढ़ोतरी और आर्थिक विकास दर के लिए जोखिम कम से कम रहेंगे। मगर अल- नीनो का प्रभाव अधिक हुआ तो विकास दर नरम जरूर पड़ सकती है।
इस साल 8 जून को मॉनसून ने केरल में दस्तक
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले कुछ दशकों में मॉनसून की रफ्तार से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया है। इसके अनुसार हाल के वर्षों में 2017 में मॉनसून को देश के सभी हिस्सों में पहुंचने में लगभग 50 दिनों का समय लग गया था। इसकी तुलना में 2013 में मॉनसूनी हवाएं केवल 15 दिनों में ही देश के हरेक हिस्से में पहुंच गई थीं।
इस साल 8 जून को मॉनसून ने केरल में दस्तक दी थी। 2 जुलाई तक यह पूरे देश में पहुंच गया था। इस तरह, इसे केरल से लेकर देश के दूसरे सभी हिस्सों में पहुंचने में 24 दिनों का समय लगा। इससे पहले 2015 में मॉनसून ने केवल 21 दिनों में पूरे देश में दस्तक दे दी थी।