लंबी नियामकीय बाधाओं और देरी के बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पुनर्विकास की योजना अब एक कदम आगे बढ़ी है। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक इस योजना के लिए अहलूवालिया कांट्रैक्ट्स ने सबसे कम 2,450 करोड़ रुपये की बोली लगाई है।
कंस्ट्रक्शन कंपनी इस ठेके के लिए 3 अन्य दिग्गजों एनसीसी, लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) और एफ्कॉन इन्फ्रास्ट्रक्टर के साथ मुकाबला कर रही थी। सूत्रों ने कहा कि आहलूवालिया की बोली अन्य तीन की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम रही। एनसीसी ने करीब 3,700 करोड़ रुपये की बोली लगाई। वहीं एफ्कॉन ने इस परियोजना के लिए 3,900 करोड़ रुपये जबकि एलऐंडटी ने 4,100 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए1,800 करोड़ रुपये लागत का अनुमान लगाया था। अगर लगाई गई सबसे कम बोली को छोड़ दें तो अन्य कंपनियों ने केंद्र के अनुमान की तुलना में दोगुनी लागत आने का अनुमान लगाया था।
यह खबर प्रकाशित होने तक रेल मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था।
योजना के तहत पुनर्विकसित भवन हरित भवन होगा, जिसमें सौर ऊर्जा, कचरा प्रबंधन आदि की व्यवस्था होगी। यात्रियों के आने और जाने के अलग अलग टर्मिनल होंगे। इसके साथ ही इसमें वाणिज्यिक जगह, रेस्टोरेंट, लाउंज और रिटेल स्टोर आदि भी होंगे।
उम्मीद की जा रही है कि उन्नयन के बाद यह स्टेशन शहर की मेट्रो लाइन 3 से जुड़ जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 7 महीने पहले कहा था कि यूनेस्को की वैश्विक धरोहर घोषित इस स्टेशन के विकास में धरोहर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगा, जो एक प्रतिष्ठित इमारत है। उन्होंने कहा था कि ज्यादातर विकास स्टेशन परिसर के आसपास होगा। दरअसल हेरिटेज की बहाली के ज्यादातर कार्यों में मूल स्थल के अलावा बने निर्माण व विस्तार को हटाया जाना शामिल है। रेलवे ने हेरिटेज इलाके से ज्यादातर रेलवे कार्यालयों को बाहर ले जाने की योजना बनाई है।