देसी फार्मास्युटिकल उद्योग का बाजार पिछले साल 6.8 फीसदी बढ़कर 1.93 लाख करोड़ रुपये सालाना तक पहुंच गया। मगर बिकने वाली दवाओं की मात्रा के मामले में इस दौरान 0.9 फीसदी कमी देखी गई। इससे पता चलता है कि फार्मा बाजार की वृद्धि में दवाओं की कीमत बढ़ने का अहम योगदान है।
पिछले साल दिसंबर में मूविंग सालाना कारोबार यानी पिछले 12 महीने के कारोबार में कीमत वृद्धि 5.1 फीसदी रही और नए उत्पादों में वृद्धि 2.6 फीसदी ही रही। कुल बिक्री में इस दौरान 0.9 फीसदी कमी आई। बाजार शोध फर्म फार्माट्रैक के आंकड़ों के अनुसार देसी फार्मा उद्योग में कुल 6.8 फीसदी वृद्धि रही।
हृदय रोग, संक्रमण और पेट की बीमारियों के उपचार में काम आने वाली दवाओं की मांग सबसे ज्यादा रही। कुल कारोबार में मूल्य के लिहाज से हृदय रोग के उपचार वाली दवाओं में 6.3 फीसदी, संक्रमण-रोधी दवा में 8 फीसदी और गैस्ट्रो की दवा में 5.2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।
देसी दवा उद्योग की कुल बिक्री में इन तीनों रोगों की दवाओं की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। मगर हृदय और गैस्ट्रो रोगों की दवाओं की बिक्री मात्रा के लिहाज से कम रही।
फार्माट्रैक में उपाध्यक्ष (वाणिज्यिक) शीतल सापले ने कहा, ‘संक्रमण-रोधी दवा की बिक्री में 10.3 फीसदी इजाफा हुआ और कुल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी ज्यादा रही। इससे संकेत मिलता है कि इस श्रेणी की दवाओं की मांग बढ़ी है।’
ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा (जीएसके) की ऑग्मेंटिन लगातार दूसरे साल इस श्रेणी में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा रही। 2023 में ऑग्मेंटिन की बिक्री 9.9 फीसदी बढ़कर 804 करोड़ रुपये रही और मात्रा में करीब 12 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
जीएसके इंडिया के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ऑग्मेंटिन चार दशक से भी ज्यादा समय से गुणवत्ता और नवोन्मेष का पैमाना गढ़ रही है और चिकित्सक इलाज के लिए इसे गुणवत्ता और भरोसे का प्रतीक मानते हैं।’ उन्होंने कहा कि पिछले साल कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो में ऑग्मेंटिन ईएस शामिल की थी, जिसे बच्चों में जीवाणु संक्रमण के अल्पावधि उपचार में दिया जाता है।
देसी बाजार में इस उद्योग की कुछ कंपनियों की बिक्री बढ़ी है और कुछ की घटी है। मैकलॉयड्स (12.1 फीसदी), एरिस्टो (11.2 फीसदी), मैनकाइंड फार्मा (11.1 फीसदी), सिप्ला (10.4 फीसदी) और यूएसवी (10.4 फीसदी) की बिक्री में ज्यादा इजाफा हुआ है। फार्मा उद्योग में शीर्ष 5 पायदानों पर वे कंपनियां ही हैं, जो 2022 में थीं मगर बाकी कंपनियों का क्रम बदल गया है।
टॉरेंट फार्मा सातवें स्थान से उठकर छठे पर आ गई है और अलकेम आठवीं पायदान से चढ़कर सातवीं पर पहुंच गई। इसी तरह ल्यूपिन छठे से फिसलकर आठवें स्थान पर रह गई।
डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज 11वें से 12वें पर और यूवीएस 18वें पायदान से उछलकर 15वें पायदान पर पहुंच गई। कंपनियों का यह क्रम कीमत में उनकी बिक्री के लिहाज से है और इसमें कंपनियों द्वारा विक्रेताओं को दी जाने वाली बोनस यूनिट भी शामिल हैं। बोनस यूनिट के बगैर सिप्ला तीसरे नंबर और मैनकाइंड चौथे नंबर की है।
मैनकाइंड फार्मा के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य हमेशा से लंबी अवधि के लिए संस्था विकसित करने पर रहा है।’ सिप्ला की बिक्री भी 2023 में 12.3 फीसदी बढ़ी।
जेनेरिक दवाओं में कंपनी की मजबूत पैठ से सिप्ला को बिक्री बढ़ाने में मदद मिली है। बहुराष्ट्रीय फर्मों में सिप्ला की मूल्य वृद्धि 8.8 फीसदी घटी और मात्रा वृद्धि 10.2 फीसदी कम हुई। सनोफी इंडिया की बिक्री में भी 6.6 फीसदी कमी आई।