सोमवार को अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 2 पैसे गिरकर 83.27 के सर्वाधिक निचले स्तर पर बंद हुआ। डॉलर सूचकांक में तेजी पर नजर रखने वाले डीलरों का कहना है कि 18 सितंबर को रुपया इसी स्तर पर बंद हुआ था।
सरकार के स्वामित्व वाले एक बैंक में डीलर ने कहा, ‘सोमवार को रुपये ने डॉलर सूचकांक का मुकाबला किया, लेकिन अमेरिका और जापान के बाजार बंद होने की वजह से यह सीमित दायरे रहा। इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध की वजह से दरों में बदलाव आ सकता है, लेकिन इसका पता मंगलवार को लगेगा।’ अमेरिकी बाजार कोलंबस डे की वजह से सोमवार को बंद था।
6 प्रमुख मुद्राओं के प्रदर्शन का मापक डॉलर सूचकांक चढ़कर 106.45 पर पहुंच गया, क्योंकि पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव की वजह से सुरक्षित निवेश मांग से डॉलर मजबूत होने से इसमें तेजी आई।
इजरायली सैन्य बलों और हमास के बीच संघर्ष बढ़ने से बाजार धारणा प्रभावित हुई है। हमास द्वारा इजरायल पर हमला शुरू किए जाने के काफी कम समय में यह संघर्ष तेज हो गया है।
इसके अलावा, अमेरिकी गैर-कृषि रोजगार आंकड़ा अनुमान के मुकाबले मजबूत आया है। सितंबर में, गैर-कृषि पेरोल में 336,000 नौकरियों तक का इजाफा हुआ, जो 170,000 नौकरियों के अनुमान से ज्यादा है।
अगस्त के लिए आंकड़ा बढ़ाया गया था, जिससे पहले बताए गए 187,000 के बजाय 227,000 नौकरियां जुड़ने का खुलासा हुआ। जुलाई-सितंबर के बीच रुपये में 1.2 प्रतिशत तक की गिरावट आई।
दूसरी तरफ, पहली तिमाही में इसमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा, मजबूत विदेशी प्रवाह की वजह से चालू कैलेंडर वर्ष के पहले 6 महीनों में रुपया 0.16 प्रतिशत तक चढ़ा।
बाजार कारोबारियों को गुरुवार को स्थानीय मुद्रा में 83.20 रुपये से 83.40 के बीच कारोबार होने की संभावना है। बाजार कारोबारियों का मानना है कि अमेरिकी प्रतिफल और डॉलर सूचकांक में तेजी बनी रह सकती है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स एलएलपी में ट्रेजरी प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘मंगलवार को रुपया 83.20 रुपये से 83.40 के दायरे में बना रह सकता है, क्योंकि डॉलर सूचकांक और अमेरिकी प्रतिफल में तेजी बरकरार रहने की संभावना है।’
डीलरों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओपन मार्केट कमेटी की बुधवार को होने वाली बैठक पर भी नजर रहेगी।