सार्वजनिक क्षेत्र की कनवर्जेन्स एनर्जी सर्विसेज लि. (CESL) ने मंगलवार को कहा कि 6,465 इलेक्ट्रिक बसों (E- Bus) के लिये जो कीमत निकली है, वह डीजल बसों की परिचालन लागत से 29 फीसदी कम है। बिजली मंत्रालय के चार उपक्रमों के संयुक्त उद्यम एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (EESL) की पूर्ण अनुषंगी CESL ने बयान में कहा कि इस एकीकृत निविदा में देश के छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों…दिल्ली, तेलंगाना, हरियाणा, सूरत (गुजरात), केरल और अरुणाचल प्रदेश में इलेकट्रिक वाहनों की मांग शामिल है।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम (NEBP) के तहत यह पहली निविदा है। शहर के भीतर (इंटरासिटी) परिचालन के लिये 12 मीटर बस के लिये सबसे कम कीमत 54.3 रुपये प्रति किलोमीटर सामने आई। वहीं एक शहर से दूसरे शहर (इंटरसिटी) के लिये 12 मीटर बस को लेकर मूल्य 39.8 रुपये किलोमीटर निकला। नौ मीटर बस के लिये कीमत 54.46 रुपये किलोमीटर और सात मीटर बस के लिये कीमत 61.92 रुपये प्रति किलोमीटर निकली।
बयान के अनुसार, कीमत में सब्सिडी शामिल नहीं है और जो मूल्य सामने आये हैं, वह डीजल बसों के परिचालन के मुकाबले 29 फीसदी कम है। CESL की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) महुआ आचार्य ने कहा, ‘यह हमारे राज्य परिवहन प्राधिकरणों में बदलाव लाने और देश में इलेक्ट्रिक परिवहन व्यवस्था के लिये एक नया बाजार बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कदम है।’
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उन्होंने कहा कि यह निविदा देश में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत, आधुनिक और हरित बनाने को लेकर अगले कुछ साल में सड़कों पर 50,000 इलेक्ट्रिक बसों को तैनात करने के केंद्र सरकार के दृष्टिकोण का हिस्सा है।
निविदा का मूल्य 30,800 करोड़ रुपये से अधिक है। इन बसों के 571.8 करोड़ किलोमीटर चलने की उम्मीद है। इससे 184.2 करोड़ लीटर डीजल की बचत के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। बयान के अनुसार, सकल लागत अनुबंध (GCC) मॉडल के तहत निजी परिचालक बस लाएंगे और निविदा में निर्धारित शर्तों के तहत 10 और 12 साल के लिये परिचालन करेंगे।