वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में शायद कटौती न की जाए। मंत्रालय ने उद्योग को ज्यादा दक्षता लाकर लागत घटाने और प्रवर्तक कंपनियों को रॉयल्टी घटाने पर विचार करने को कहा है।
मारुति सुजूकी, टोयोटा किर्लोस्कर, हुंडई और वाहनों के कलपुर्जा बनाने वाली कंपनियां अपनी प्रवर्तक कंपनियों को तकनीकी मदद और नए मॉडल के विनिर्माण की तकनीक के लिए रॉयल्टी का भुगतान करती हैं।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के तहत वाहन उद्योग के लिए कर की दर पुरानी कराधान व्यवस्था – उत्पाद शुल्क और मूल्यवद्र्घन कर की तुलना में कम है। एक सूत्र ने बताया, ‘मीडिया में जो खबर आई है तथ्य उससे उलट है। वाहनों पर जीएसटी की दरें वैट और उत्पाद शुल्क के जमाने की तुलना में कम हैं।’
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार से जीएसटी दरों में कटौती की मांग के बजाय कंपनियों को रॉयल्टी भुगतान घटाकर अपनी विनिर्माण लागत कम करना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि वाहन उद्योग की स्थापित कंपनियां लंबे समय से मौजूद हैं और नियामकीय एवं कराधान व्यवस्था के बावजूद देश में विकास कर रही हैं। इन कंपनियों द्वारा विदेशी में स्थित प्रवर्तक कंपनियों को काफी रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है।
हालांकि वाहन कंपनियों के कार्याधिकारियों का कहना है कि कराधान और रॉयल्टी भुगतान को एकसमान नहीं माना जा सकता। उनका कहना है कि उद्योग कर में कटौती की मांग कर रहा था ताकि दबी हुई मांग को बढ़ावा मिल सके और बिक्री में तेजी आ सके।
वाहन कंपनी के एक कार्याधिकारी ने कहा, ‘दुनिया भर में प्रवर्तक कंपनियों को रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है और इससे भारतीय कंपनियों को भी देश में तकनीक लाने में मदद मिली है। वैसे, कंपनियों धीरे-धीरे रॉयल्टी भुगतान घटा भी रही हैं। उद्योग कर में कटौती की मांग इसलिए कर रही है ताकि मौजूदा समय में ग्राहकों की मांग में सुधार हो सके।’
उन्होंने कहा कि क्या उक्त तकनीक को भारत में विकसित किया जाए और रॉयल्टी का भुगतान करने की जगह लागत दोगुनी कर दी जाए? मारुति सुजूकी ने 2018 में रॉयल्टी भुगतान की गणना के तरीके में बदलाव किया है और नए मॉडलों के वह कम रॉयल्टी का भुगतान करती है।
रॉयल्टी भुगतान को मुद्रा बाजार के उतार-चढ़ाव से अलग किया गया है और किसी मॉडल की बिक्री निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद मारुति द्वारा रॉयल्टी का भुगतान कम कर दिया जाएगा। भारत में मारुति शोध एवं विकास पर जो पैसे खर्च किए हैं सुजूकी उसे भी वापस करेगी।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी को जब लागू किया गया था तो उसमें उत्पाद शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क, वैट, केंद्रीय बिक्री कर सहित सभी करों को समाहित किया गया था। जीएसटी से पहले के कर की दर को देखते हुए ही वाहनों को 28 फीसदी कर दायरे में रखा गया था।
