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अब स्मार्टफोन खरीदेंगे तो उसमें ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल होकर आएगा, जो कभी डिलीट नहीं होगा!

दूरसंचार मंत्रालय ने सभी स्मार्टफोन ब्रांड्स को फोन में सरकारी ‘संचार साथी’ ऐप को इंस्टॉल कर बेचने का आदेश दिया है, और पुराने फोन में अपडेट के जरिए इंस्टॉल कराने की बात कही है

Last Updated- December 01, 2025 | 7:08 PM IST
Sanchar Saathi
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत सरकार अब साइबर सेफ्टी अपनाने में काफी तेजी दिखा रही है। बीते दिनों सरकार ने सिम और सोशल मीडिया ऐप को लेकर नए नियम जारी किए थे, उसके बाद अब सभी स्मार्टफोन में एक जरूरी ऐप इंस्टॉल करने के लिया कहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों से फोन में ‘संचार साथी’ ऐप इंस्टॉल कर बेचने के लिए कहा है ।

दूरसंचार विभाग (DoT) ने सैमसंग, शाओमी, ओप्पो, वीवो और ऐपल जैसी सभी बड़ी कंपनियों को साफ कह दिया है कि नई फोन में यह ऐप पहले से डाला जाए और पुरानी डिवाइसेज में भी अपडेट के जरिए डाला जाए। अब अगर आप आप नया फोन लेंगे तो यह सरकारी ऐप पहले से ही आपके फोन में इंस्टॉल मिलेगा, जिसे आप न चाहते हुए भी डिलीट नहीं कर पाएंगे। हालांकि, कई कंपनियां सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है और इसका विरोध करने की तैयारी कर रही हैं।

‘संचार साथी’ ऐप क्या है?

‘संचार साथी’ ऐप जनवरी 2025 में लॉन्च हुआ था। अभी तक इसे 50 लाख से ज्यादा लोगों ने खुद डाउनलोड किया है। इसके जरिए आप ये काम कर सकते हैं:

  • फोन चोरी या गुम होने पर IMEI नंबर डालकर उसे पूरे देश में ब्लॉक करवा सकते हैं।
  • इसकी मदद से अब तक 37 लाख से ज्यादा चोरी/गुम हुए फोन ब्लॉक हो चुके हैं, 22 लाख से ज्यादा फोन ट्रेस किए गए।
  • फ्रॉड कॉल, मैसेज या वॉट्सऐप मैसेज की शिकायत कर सकते हैं।
  • अपने नाम पर चल रहे फर्जी सिम की जानकारी लेकर उन्हें बंद करवा सकते हैं। सरकार कहती है कि 3 करोड़ से ज्यादा फर्जी कनेक्शन इसी ऐप की मदद से बंद हुए।

सरकार का कहना है कि डुप्लीकेट और स्पूफ IMEI वाले फोन से साइबर ठगी बहुत बढ़ रही है। इस ऐप से चोरी के फोन का काला बाजार भी रुकेगा और पुलिस को ट्रेस करने में आसानी होगी।

कंपनियां क्यों नाराज हैं?

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे सबसे ज्यादा दिक्कत ऐपल को है। भारत में करीब 735 मिलियन स्मार्टफोन यूजर्स हैं, जिनमें सिर्फ 4.5% के पास आईफोन है। लेकिन ऐपल की पॉलिसी दूसरी कंपनियों के मुकाबले काफी सख्त है। वह अपने फोन में कोई भी थर्ड-पार्टी या सरकारी ऐप पहले से इंस्टॉल नहीं करती। दुनिया के कई देशों में उसने ऐसी मांगें ठुकराई हैं।

Also Read: आईफोन 17 ने मचाया धमाल! ऐपल की तीसरी तिमाही में शिपमेंट और बिक्री में जबरदस्त उछाल

रॉयटर्स के हवाले से एक्सपर्ट्स ने कहा है कि लेकिन इसबार ऐपल पूरी तरह मना कर दे, ऐसा कम चांस है। वो बीच का रास्ता निकाल सकता है, जैसे फोन सेटअप के वक्त यूजर से पूछा जाए कि ऐप इंस्टॉल करना है या नहीं। हालांकि, सरकार ‘नो डिलीट’ वाली बात पर अड़ी है।

इसके अलावा सरकार के इस फैसले से एंड्रॉयड कंपनियां भी खुश नहीं हैं। सैमसंग, शाओमी, वीवो जैसी कंपनियां कह रही हैं कि यूजर को फोन में क्या रखना है, ये उसकी मर्जी होनी चाहिए। जबरदस्ती प्री-इंस्टॉल ऐप डालने से लोग नाराज हो सकते हैं।

वाट्सएप-टेलीग्राम पर भी नई पाबंदी

बता दें कि ‘संचार साथी’ के साथ-साथ बीते दिनों सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया था। अब वॉट्सऐप, सिग्नल और टेलीग्राम तभी चलेगा जब आपके फोन में वही सिम लगा हो, जिस नंबर से आपने पहली बार अकाउंट बनाया था। यानी सिम निकालकर दूसरे फोन में डालकर वॉट्सऐप नहीं चला पाएंगे।

इसके अलावा वॉट्सऐप वेब भी हर 6 घंटे में ऑटो लॉगआउट हो जाएगा। अभी तक सिर्फ OTP से लॉगिन होता था, अब कंपनियों को सिम का IMSI चेक करना पड़ेगा। सरकार का कहना है कि इससे फ्रॉड अकाउंट और साइबर क्राइम रुकेगा।

अब आगे क्या?

इसके लिए कंपनियों को तीन महीने का वक्त दिया गया है। इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि ये समय बहुत कम है। ऐपल और गूगल ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है। दूरसंचार मंत्रालय भी इसपर चुप है।

हालांकि, यूजर्स के बीच इसको लेकर अलग-अलग राय हैं। कोई कह रहा है कि यह अच्छा फैसला है, इससे साइबर ठगी कम होगी। लेकिन कुछ यूजर्स का मानना है कि इससे प्राइवेसी खतरे में हो सकता है। फोन में जबरदस्ती सरकारी ऐप डालना ठीक नहीं है।

First Published - December 1, 2025 | 7:08 PM IST

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