Google I/O 2025: गूगल ने अपने सालाना डेवलपर इवेंट Google I/O 2025 में कई नए प्रोडक्ट्स और फ़ीचर्स लॉन्च किए, जो पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से पावर्ड हैं। इनका उद्देश्य लोगों की बातचीत, रचनात्मकता और रोज़मर्रा की तकनीक को और बेहतर और आसान बनाना है।
इस इवेंट में “बीम (Beam)” नाम की एक खास टेक्नोलॉजी पेश की गई, जिससे थ्रीडी (3D) वीडियो कॉल्स बिल्कुल असली अनुभव जैसा लगेगा। इसके अलावा, गूगल ने इमेज और वीडियो जनरेशन के लिए नए टूल्स भी लॉन्च किए – इमेजेन 4 (Imagen 4) और वियो 3 (Veo 3), जो बहुत ही उन्नत और क्रिएटिव हैं।
गूगल ने स्मार्ट वियरेबल्स के लिए एंड्रॉयड एक्सआर (Android XR) भी पेश किया, जो अगली पीढ़ी के डिवाइसों को और ज़्यादा स्मार्ट और इमर्सिव बनाएगा। इसके साथ ही, जेमिनी (Gemini) और गूगल सर्च को भी नए फ़ीचर्स और अपडेट्स मिले हैं, जिससे यूज़र्स को ज़्यादा पर्सनल और हेल्पफुल अनुभव मिलेगा।
Google ने अपने I/O 2025 डेवलपर कॉन्फ्रेंस में Beam नाम की नई 3D वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टेक्नोलॉजी लॉन्च की है। पहले यह Project Starline के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे रिसर्च से बाहर लाकर बिज़नेस यूज़ के लिए तैयार किया जा रहा है।
Beam का मकसद वर्चुअल मीटिंग्स को बिलकुल आमने-सामने की बातचीत जैसा महसूस कराना है। इसमें हेडसेट या चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती। यह टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), एडवांस्ड 3D इमेजिंग और स्पेशल डिस्प्ले का इस्तेमाल करके सामने वाले इंसान की लाइफ-साइज़, हाई-क्वालिटी इमेज दिखाती है।
Beam में यूज़र की वीडियो को 3D इमेज में बदल दिया जाता है, जिसे अलग-अलग एंगल्स से देखा जा सकता है। इससे फेस के छोटे-छोटे एक्सप्रेशंस, आवाज़ का टोन और बॉडी लैंग्वेज भी साफ समझ में आती है—जो आम वीडियो कॉल्स में मिस हो जाती हैं।
इसमें नैचुरल आई-कॉन्टैक्ट और जेस्चर (हावभाव) भी दिखते हैं, जिससे बातचीत ज्यादा इंसानी और कनेक्टेड महसूस होती है।
At #GoogleIO, we shared how decades of AI research have now become reality.
From a total reimagining of Search to Agent Mode, Veo 3 and more, Gemini season will be the most exciting era of AI yet.
Some highlights 🧵 pic.twitter.com/2n9rbGNj0Q
— Sundar Pichai (@sundarpichai) May 20, 2025
Beam पूरी तरह से Google Cloud पर काम करता है और मौजूदा ऑफिस टूल्स के साथ आसानी से इंटीग्रेट हो सकता है। इससे कंपनियों को इसे अपनाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
Google ने इस टेक्नोलॉजी को बाजार में लाने के लिए HP के साथ पार्टनरशिप की है। HP इस साल के अंत में पहली Beam डिवाइसेज़ लॉन्च करेगा, जिसकी झलक InfoComm ट्रेड शो में मिलेगी।
Beam को Google Meet और Zoom जैसे पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स से भी कनेक्ट किया जा सकेगा। यानी यूज़र्स को अपनी पसंदीदा वीडियो कॉल ऐप बदलने की जरूरत नहीं होगी।
इसकी शुरुआती टेस्टिंग कुछ बड़े नामों ने की है जैसे Deloitte, Salesforce, Citadel, NEC, Hackensack Meridian Health और Duolingo। Deloitte Consulting के मैनेजिंग डायरेक्टर Angel Ayala ने Beam के बारे में कहा कि यह सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल ब्रेकथ्रू नहीं है, बल्कि यह इस बात को नए तरीके से सोचने का जरिया है कि हम आपस में कैसे कनेक्ट करते हैं।
Google ने वीडियो कम्युनिकेशन को और बेहतर बनाने के लिए real-time speech translation की सुविधा भी शुरू की है।
यह फीचर अब Google Meet में आ चुका है और जल्द ही Beam में भी मिलेगा। इसकी मदद से अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग भी लाइव कॉल में एक-दूसरे से आसानी से बात कर सकते हैं। सबसे खास बात ये है कि ट्रांसलेशन के दौरान ओरिजिनल आवाज़ की टोन और एक्सप्रेशन भी बरकरार रहते हैं, जिससे कम्युनिकेशन और क्लियर होता है।
Beam का मकसद है वर्चुअल कॉल्स को और ज्यादा रियल और नैचुरल बनाना, ताकि लोग न सिर्फ बेहतर दिखें बल्कि बेहतर तरीके से इंटरैक्ट भी कर सकें।
गूगल का नया AI फीचर Gemini Live अब दुनियाभर के Android और iPhone यूज़र्स के लिए फ्री में उपलब्ध है। ये फीचर अब आपके मोबाइल के कैमरा से चीज़ों को देखकर उन्हें समझ सकता है और आपके सवालों के हिसाब से सही जवाब दे सकता है।
इसमें वो एडवांस टेक्नोलॉजी शामिल की गई है जो पहली बार Google I/O 2024 में Project Astra के नाम से दिखाई गई थी। इसका मतलब है कि अब आप Gemini Live को कोई भी ऑब्जेक्ट दिखाकर उस पर सवाल पूछ सकते हैं और ये आपको तुरंत कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से जवाब देगा।
इस हफ्ते से अमेरिका में उपयोगकर्ताओं को गूगल सर्च और क्रोम में एक नया ‘एआई मोड’ देखने को मिलेगा। यह नया मोड गूगल सर्च के तरीके को पूरी तरह बदल देगा। अब उपयोगकर्ताओं को केवल लिंक की सूची देखने की बजाय एक चैटबॉट जैसी बातचीत का अनुभव मिलेगा। आप सवाल पूछ सकते हैं, उसके बाद फिर से follow-up प्रश्न कर सकते हैं और सामान्य भाषा में बातचीत कर सकते हैं।
इस एआई मोड में विज़ुअल टूल्स भी होंगे, जो जटिल जानकारी को समझकर उपयोगकर्ता के लिए चार्ट और ग्राफ तैयार कर सकेंगे। गूगल इसमें उपयोगकर्ता की पुरानी सर्च हिस्ट्री और जीमेल जैसे अन्य सेवाओं से डेटा लेकर ज्यादा पर्सनल और उपयोगी जानकारी सर्च में दिखाएगा।
गूगल ने एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम ‘एंड्रॉयड एक्सआर’ लॉन्च किया है, जो खासतौर पर एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) डिवाइस जैसे स्मार्ट चश्मों और हेडसेट्स के लिए बनाया गया है। इसे “जेमिनी युग का पहला एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म” बताया गया है।
एंड्रॉयड एक्सआर में प्रोजेक्ट एस्ट्रा और जेमिनी तकनीक को जोड़ा गया है, जिससे यह डिवाइस उपयोगकर्ता के दृष्टिकोण को समझ सकता है और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया दे सकता है। यह डिवाइस न केवल सवालों के जवाब दे सकता है, बल्कि काम भी कर सकता है और रीयल-टाइम सहायता भी प्रदान कर सकता है।
गूगल ने डेमो में दिखाया कि स्मार्ट चश्मे से संदेश भेजे जा सकते हैं, इवेंट शेड्यूल किए जा सकते हैं, लाइव नेविगेशन मिल सकता है और भाषाओं का तुरंत अनुवाद भी किया जा सकता है। एक खास फीचर यह था कि अलग-अलग भाषाओं में बातचीत करते समय लाइव सबटाइटल्स स्क्रीन पर दिखाई दे रहे थे।
Google ने I/O 2025 में अपने दो नए AI मॉडल लॉन्च किए हैं – Imagen 4 और Veo 3। Imagen 4 एक नया इमेज जनरेशन मॉडल है जो पहले से ज़्यादा एडवांस है। अब यह बेहतर तरीके से text aur visuals को रेंडर करता है। स्पेलिंग और टाइपोग्राफी (अक्षरों की बनावट) भी अब ज्यादा सटीक है। यह मॉडल अब Gemini app में मौजूद है।
Veo 3 एक नया video generation model है जो न सिर्फ रियलिस्टिक वीडियो बना सकता है बल्कि उसमें साउंड इफेक्ट और डायलॉग भी जोड़ सकता है।
गूगल के अनुसार, “Veo 3 समझने में बेहद सक्षम है। अगर आप अपनी कहानी कुछ वाक्यों में लिखते हैं, तो यह उसे एक जीवंत वीडियो क्लिप में बदल देता है।”
यह मॉडल Gemini ऐप और Flow में अमेरिका के Ultra सब्सक्राइबर्स के लिए उपलब्ध है। साथ ही, यह Vertex AI पर एंटरप्राइज़ यूज़र्स के लिए भी उपलब्ध है।
गूगल अब अपने apps में भी यूज़र के हिसाब से AI को personalize कर रहा है। सबसे पहले यह बदलाव Gmail में दिखेगा, जहाँ एक नया फीचर आएगा – “Personalised Smart Replies”। इसकी मदद से यूज़र अपने ईमेल्स के जवाब उसी के context और tone के हिसाब से लिख सकेंगे।
यह फीचर इस साल के अंत तक पेड यूजर्स के लिए रोल आउट किया जाएगा। यह गूगल की उस बड़ी प्लानिंग का हिस्सा है जिसमें वह अपने सभी एप्स को ज़्यादा यूजर स्पेसिफिक बनाने की कोशिश कर रहा है।