वाहन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए 50 लाख से अधिक पंजीकरण कराए जा चुके हैं और इन वाहनों की बिक्री ने कैलेंडर वर्ष 2022 के अंत तक चार फीसदी की बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली है। वाहन के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष के 27 दिसंबर तक लगभग 560,000 दोपहिया वाहनों का पंजीकरण कराया जा चुका है, जो 2021 के मुकाबले 4 गुना अधिक है। 2021 में दोपहिया वाहनों के पंजीकरण की संख्या 136,000 थी और इसकी बाजार हिस्सेदारी मात्र 1.05 फीसदी थी। 2022 में अब तक पंजीकृत दोपहिया वाहनों (आईसीई और इलेक्ट्रिक) की कुल संख्या 1.45 करोड़ है, जो पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में केवल 12.7 फीसदी अधिक है।
पंजीकृत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की संख्या 750,000 के आंकड़े से कम हो सकती है, जिसका अनुमान वर्ष की शुरुआत में लगाया गया था। मई से पंजीकरण की रफ्चार धीमी पड़ गई थी और इसके लिए चिप की कमी एक प्रमुख समस्या थी। केवल त्योहारी सीजन में बिक्री ने जोर पकड़ा, जब कंपनियों द्वारा सेल के माध्यम से बिक्री शुरू की गई। इस क्षेत्र में सेल और पूंजीगत खर्च योजना के कारण बाजार में तेजी आई और यह उम्मीद लगाई गई कि वाहन बाजार 2023 में 10 लाख बिक्री को आसानी से पार कर जाएगा।
उपभोक्ता 2023 में बाजार में एक दर्जन से अधिक नए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि दोपहिया वाहनों में इनकी मांग बढ़ने वाली है। ऐसा अनुमान है कि दोपहिया वाहन बाजार में ई-वाहनों की हिस्सेदारी 60 फीसदी पार कर सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि एम्पीयर जनवरी में सायम ऑटो एक्सपो में नए स्कूटरों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन करेगी।
ओला भी अप्रैल 2023 में विकल्प के तौर पर अपनी दूसरा इलेक्ट्रिक स्कूटर ओला एस1 एयर पेश करेगी, जिसकी कीमत 84,999 रुपये होगी। ओला के इस स्कूटर की सीधी प्रतिस्पर्धा होंडा की आईसीई एक्टिवा से होने वाली है। होंडा की यह बाइक आईसीई बाजार में हावी है और इसकी बिक्री 120,000 प्रतिमाह है। निश्चित ही, लोग अब होंडा के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।
मोटरसाइकिल के क्षेत्र में भी ओला का मुकाबला होगा क्योंकि, लोग बजाज और टीवीएस के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक में हीरो मोटोकॉर्प के चुपचाप प्रवेश पर भी सब की निगाहें टिकी हुई हैं।
हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियां हैं जो ई-दोपहिया कंपनियों को परेशान कर सकती हैं। एक तो इलेक्ट्रिक दोपहिया फर्मों पर हालिया कार्रवाई है, जिसके बारे में सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने स्थानीयकरण मानदंडों का उल्लंघन किया है। फर्मों को 40,000-50,000 रुपये प्रति वाहन की फेम 2 सब्सिडी के लिए पात्र होने के लिए 50 फीसदी स्थानीयकरण हासिल करना था। अगर उन्हें वह सब्सिडी नहीं मिलती है, तो उनकी बिक्री में कमी आ जाएगी।
कई ई-स्कूटर कंपनियों को भी छोटी अवधि की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक बैटरी के लिए कठिन नए मानदंडों का कार्यान्वयन है। कार्यान्वयन के तहत कहा गया था कि ई-स्कूटर को अधिक गरम होने के कारण आग पकड़ने से रोकने के लिए और उपभोक्ताओं की लंबे समय से चली आ रही चिंता को दूर करने के लिए कंपनियां दो चरणों, 1 दिसंबर तक और 1 मार्च तक सारी प्रक्रिया को पूरा करें। विशेषज्ञों का कहना है कि इन मानदंडों के लागू होने से बैटरी की लागत और इसके परिणामस्वरूप ई-वाहन की कीमत में वृद्धि होगी।