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अगले पांच वर्षों में भारत में डिजिटल विज्ञापन खर्च 21 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान

Last Updated- December 28, 2022 | 12:24 AM IST
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भारत में डिजिटल विज्ञापन खर्च अगले पांच वर्षों में 2.5 गुना बढ़कर 21 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह 19 से 21 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। रेडसियर स्ट्रैटजी कंसल्टेंट्स की एक हालिया रिपोर्ट में ये जानकारियां दी गई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड के कारण बढ़े डिजिटलाइजेशन ने इसे प्रमुखता से बढ़ाया है। स्मार्टफोन और इंटरनेट सेवाओं के उपयोग में उछाल ने डिजिटल विज्ञापन के लिए कई द्वार खोल दिए हैं।

रेडसियर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के इंगेजमेंट मैनेजर मुकेश कुमार कहते हैं, ‘मीडिया एजेंसियों में बाजार का आकार तैयार करने पर हम देखते हैं कि भारत में डिजिटल विज्ञापन खर्च को कम करके बताया गया है। हालांकि रेडसियर प्रोजेक्शन ने उद्यमों के खर्च, एसएमबी के खर्च, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, एफिलिएट मार्केटिंग और गेमिंग को भी ध्यान में रखा है।’

उपयोगकर्ता जनित सामग्री (यूजीसी) में वृद्धि व्यक्तिगत रचनाकारों और प्रभावित करने वालों को अपनी डिजिटल पहचान बनाने के लिए सशक्त बनाएगी। इसका लाभ ब्रांड डिजिटल विज्ञापनों के लिए उठा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25-30 लाख क्रिएटरों वाले मजबूत पारिस्थितिकीतंत्र से 2028 तक 2.8-3.5 अरब डॉलर का मार्केटिंग खर्च बढ़ने की उम्मीद है।

भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.5 फीसदी विज्ञापन पर करता है खर्च

भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.5 फीसदी हिस्सा विज्ञापनों पर खर्च करता है, जिसमें से 53 फीसदी डिजिटल विज्ञापन पर खर्च किया जाता है। हालांकि, भारत के पीसीएफई के अगले पांच वर्षों में 6-7 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए विज्ञापन व्यय में वृद्धि होना तय है। उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन पर प्रतिदिन लगभग सात घंटे बिताते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म की सहभागिता दर अच्छी है। सटीक लक्षित दर्शकों तक पहुंचने के लिए मार्केटर तेजी से इन पर विज्ञापन दे रहे हैं।

डिजिटल विज्ञापन प्लेटफॉर्म चलाने वाले कुछ सबसे लोकप्रिय प्रदर्शनों में ई-कॉमर्स, शॉर्ट वीडियो, ओटीटी, सोशल मीडिया, लॉन्ग-फॉर्म वीडियो और न्यूज आउटलेट शामिल हैं। अल्फाबेट और मेटा जैसे बाजार के मौजूदा खिलाड़ी ओटीटी वीडियो, ओटीटी ऑडियो, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो और ई-कॉमर्स जैसे वैकल्पिक डिजिटल सामग्री प्लेटफॉर्मों के लिए अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखेंगे। इसके अलावा, कंटेंट और गेमिंग प्लेटफॉर्म सबसे तेजी से बढ़ते डिजिटल विज्ञापन प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रहे हैं।

डिजिटल विज्ञापन अपना रहे छोटे उद्यम

चूंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म मार्केटर्स को विभिन्न श्रेणियों में लक्षित समूहों तक पहुंचने की अनुमति देते हैं, इसलिए कई छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों (एसएमबी) ने अपनी लोकतांत्रिक पहुंच के कारण डिजिटल विज्ञापन का विकल्प चुना है। ई-पेमेंट, ई-डिस्कवरी और ई-कॉमर्स जैसे डिजिटल एनेबलर ने व्यापारियों, सेवा प्रदाताओं, किराना मालिकों और छोटे दुकानदारों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम बनाया है।

रेडसियर के अनुसार एसएमबी ने वित्त वर्ष 22 में कुल 8 अरब डॉलर का 30-35 फीसदी हिस्सा डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च किया और उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष 28 तक उनका हिस्सा लगभग 40 फीसदी तक बढ़ जाएगा। भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में 25-30 लाख से बड़े आकार के कंटेंट क्रिएटर हैं। यह मूलरूपों में चार तरह से उभरे हैं, जिसमें माइक्रो, मैक्रो, मेगा और इलीट क्रिएटर शामिल हैं।

माइक्रो, मैक्रो इन्फ्लुएंसरों ने बड़े ब्रांडों को बेहतर आरओआई दिया है और छोटे डी2सी ब्रांडों को सक्षम बनाया है। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में इन्फ्लुएंसर के नेतृत्व वाला लाइव कॉमर्स 2030 तक बढ़कर 8 अरब डॉलर का हो जाएगा और इन्फ्लुएंसर पर मार्केटिंग खर्च 2028 तक बढ़कर 3.5 अरब डॉलर हो जाएगा।

First Published - December 27, 2022 | 8:20 PM IST

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