वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम ने जीएसटी में प्रस्तावित सुधार की प्रक्रिया में तेजी लाने का वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है। उद्योग को इससे वाहनों की त्योहारी बिक्री प्रभावित होने की आशंका है। सायम ने वाहनों पर राज्यों को मिलने वाले मुआवजा उपकर को भी स्पष्ट करने की मांग की है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने मुआवजा उपकर में संभावित नुकसान और बिक्री में गिरावट के कारण डीलरों को 15 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों की थोक आपूर्ति फिलहाल रोक दी है।
सूत्रों का कहना है कि अन्य वाहन कंपनियां भी इसी राह पर चल सकती हैं। ऐसे में अगस्त और सितंबर महीनों के थोक बिक्री के आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं। इस घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने कहा, ‘सायम ने जीएसटी सुधारों को जल्द लागू करने की मांग की है। वे मुआवजा उपकर से जुड़ी चिंताओं का भी तुरंत समाधान चाहते हैं।’
एक सूत्र ने कहा, ‘जीएसटी कोई समस्या नहीं है। अगर आप गैर-ईवी श्रेणी में कोई महंगी कार खरीदते हैं, तो कंपनी के पास उपकर क्रेडिट का दावा करने की कोई व्यवस्था नहीं है।’ उन्होंने संकेत दिया कि एमऐंडएम द्वारा आपूर्ति बंद करने का एक कारण यह भी हो सकता है। फिलहाल ईवी पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि पेट्रोल-डीजन वाहनों पर 28 फीसदी से 53 फीसदी (सेस सहित) तक कर लगता है। जीएसटी दर में कमी किए जाने से टैक्स आर्बिट्राज कम हो सकता है, जिससे ईवी के लिए स्थिति अनुकूल नहीं रह जाएगी।
दिलचस्प है कि मुआवजा उपकर नवंबर में खत्म हो जाएगा और उसके बाद इसे नहीं लगाया जा सकता। पहले उम्मीद की जा रही थी कि यह मार्च 2026 तक लागू रहेगा, खास तौर पर 28 फीसदी कर स्लैब वाले वाहनों या उत्पादों पर।
एक डीलर ने कहा, ‘कंपनी ने शायद इस मोर्चे पर स्पष्टता के अभाव के कारण यह फैसला लिया है। वैसे भी मांग कमजोर है। इसका असर अगस्त और संभवत: सितंबर में कंपनी के थोक बिक्री आंकड़ों पर भी पड़ेगा।’ हालांकि यह उपकर 2022 तक के लिए ही था, लेकिन इसे कथित तौर पर राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई करने के लिए बढ़ा दिया गया था ताकि वे कोविड काल में लिए गए उधारों को आसानी से चुका सकें। कर्नाटक सहित कई राज्यों ने उपकर लगाने के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है।
कंपनी जगत के एक सूत्र ने कहा, ‘सायम ने यह मुद्दा इसलिए उठाया है क्योंकि पूरा उद्योग जीएसटी में सुधार को तेजी से लागू करना चाहता है। जीएसटी में सुधार को लेकर बाजार में काफी अस्पष्टता दिख रही है और ग्राहक अपनी खरीद योजना को फिलहाल टाल रहे हैं।’
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अगर 4 मीटर से कम लंबी यात्री कारों और 125 सीसी से कम क्षमता वाले दोपहिया वाहनों को मौजूदा 28 फीसदी से 18 फीसदी जीएसटी स्लैब में डाल दिया जाता है तो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए कर का अंतर 23 फीसदी से घटकर 13 फीसदी रह जाएगा। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग प्रभावित हो सकती है।
मारुति, ह्युंडै और टाटा मोटर्स के पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा 28 से 31 फीसदी कर स्लैब में आता है। मारुति की लगभग 68 फीसदी कारें, ह्युंडै की लगभग 62 फीसदी कारें और टाटा मोटर्स की 87 फीसदी कारें इसी स्लैब में आती हैं। इसलिए इन कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है। अनुमानों के अनुसार, अगर जीएसटी दर 18 फीसदी तय की जाती है तो छोटी कारों के दाम 8 फीसदी तक घट जाएंगे।