देश में बने और बेचे जाने वाले सभी नए मझोले और भारी ट्रकों में चालकों की सुविधा बढ़ाने के लिए वातानुकूलित केबिन होने चाहिए। सरकार के इस नियम के साथ भारत में ट्रक उद्योग ने रविवार को नए युग में प्रवेश किया।
वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों ने पहले ही अपने मॉडल तैयार कर लिए हैं और इस वजह से कीमतों में औसतन करीब 2 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। अलबत्ता बेड़े के मालिकों का कहना है कि परिचालन व्यय में वृद्धि और कुशल श्रमिकों की कमी से उनके कारोबार की संभावनाओं को नुकसान पहुंच रहा है। इसका सीधा असर यह हुआ कि उभरते परिदृश्य का इंतजार करने वाले ग्राहकों की खुदरा बिक्री में गिरावट आई और मई 2025 में उद्योग की बिक्री संख्या अप्रैल के मुकाबले 11 प्रतिशत से भी अधिक लुढ़क गई। मई 2024 की तुलना में यह करीब 4 प्रतिशत कम है। हालांकि इस कदम से निकट भविष्य में नए ट्रकों की बिक्री प्रभावित हो सकती है। लेकिन इससे चालकों की सुरक्षा में सुधार हो सकता है और दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है।
देश की सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता टाटा मोटर्स का ही उदाहरण लें। कंपनी ने एसी केबिन की अनिवार्यता से पहले अप्रैल और मई में बहुत ज्यादा खरीदारी नहीं देखी। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री में 10 प्रतिशत तक की गिरावट आई जबकि मई में बिक्री पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 9 प्रतिशत कम थी।
शुक्रवार को अपने सभी ट्रकों में फैक्ट्री-फिटेड एसी प्रणाली पेश करने वाली कंपनी ने कहा कि यह अपग्रेड इस तरह किया गया है कि इससे स्वामित्व की कुल लागत का असर कम से कम होगा और बेड़े के मालिकों को अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित होगा।
टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने चौथी तिमाही के परिणामों के बाद विश्लेषकों के साथ बातचीत में कहा था कि भारी वाणिज्यिक वाहनों के मामले में प्रतिशत के लिहाज से लागत में यह वृद्धि कम या न्यूनतम रहेगी क्योंकि वहां आधार लागत अधिक है। वाघ ने कहा, ‘सबसे बड़े वाहन पर लागत का असर 0.5 प्रतिशत से 0.6 प्रतिशत के आसपास हो सकता है। मझोले हल्के वाणिज्यिक वाहनों के मामले में लागत का असर कुछ ज्यादा रहेगा जो 1 से 1.2 प्रतिशत की सीमा में रह सकता है।’ वाघ नहीं मानते कि यह ‘प्रतिकूल’ साबित होगा क्योंकि कीमतें 1 से 1.5 प्रतिशत की बीच बढ़ जाएंगी।
दूसरी ओर डेमलर इंडिया कमर्शियल व्हीकल्स (डीआईसीवी) इस कदम को उन उपायों के विस्तार के रूप में देख रही है जो वह पहले से ही अपना रही है। साल 2012 में भारतबेंज की शुरुआत के बाद से उसके 90 प्रतिशत से अधिक ट्रक फैक्ट्री में एकीकृत एचवीएसी प्रणाली से सुसज्जित हैं जिन्हें विशेष रूप से भारतीय परिचालन की स्थितियों के लिए तैयार किया गया है।