मौजूदा नवीनीकरण चक्र में समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रीमियम मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। बीमा प्रदाताओं और ब्रोकरों का कहना है कि कुछ मामलों में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम मूल्य में 15 से 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि कुछ मामलों में 5 फीसदी और कुछ अन्य मामलों में 10 फीसदी की वृद्धि की जा रही है। चिकित्सा खर्च में वृद्धि, कोविड संबंधी दावों के कारण हुए घाटे और आधुनिक उपचार को शामिल किए जाने से समूह बीमा योजनाओं के प्रीमियम में बढ़ोतरी हुई है। बीमाकर्ताओं ने कहा कि मूल्य पर कोविड दावों का प्रभाव इस साल कम रहा है। पिछले साल कोविड दावों के निपटारे और उसी के अनुरूप मूल्य में वृद्धि हुई थी। लेकिन इस साल कोविड दावे कम होने के बावजूद प्रीमियम मूल्य में वृद्धि की गई है। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) के अनुसार, पिछले दो वर्षों की वैश्विक महामारी के दौरान कोविड संबंधी स्वाथ्य बीमा दावों के निपटारे के लिए 25,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। निजी क्षेत्र के सामान्य बीमाकर्ताओं और एकल स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के दावों के अनुपात में 2020-21 के दौरान एक साल पहले के मुकाबले क्रमश: 5 फीसदी और 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इससे स्वास्थ्य बीमा दावों पर कोविड के प्रभाव की झलक मिलती है। बीमा नियामक की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। समूह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत आमतौर पर उन लोगों को कवर किया जाता है जो किसी संस्थान में काम करते हैं और उसके लिए प्रीमियम का भुगातन संस्थान द्वारा किया जाता है। कुछ मामलों में समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत कवरेज का दायरा बढ़ाकर उसमें परिवार के अन्य सदस्यों को भी शामिल किया जाता है। समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत बीमाकर्ता चिकित्सकीय जांच का आग्रह नहीं करता है और ऐसे में पहले से ग्रसित रोग को भी बीमा के तहत कवर किया जाता है। समूह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अनुभव के आधार पर मूल्य निर्धारित किया जाता है। इसके तहत आमतौर पर पिछले तीन साल के दौरान किए गए दावों के आधार पर प्रीमियम मूल्य का निर्धारण होता है।
